एक हाथी और दर्जी में था, बहुत घनेरा प्रेम, दोस्ती। प्रेम-भाव से मिलते-जुलते, पाते सच्ची जीवन मस्ती॥ हाथी नदी किनारे हर दिन, करने जाता स्नान,जलपान। उसी डगर के बीच सफर में, आती थी दर्जी की दुकान॥ दर्जी  देता  रोटी रोज, कभी न करता इसमें भूल। हाथी भी था प्रेम का […]

आ जाओ भैया याद आपकी बहुत रुलाती है मुझको, भैया रक्षाबंधन पर राखी गुम-सुम करती है मुझको॥ माँ कहती थी ये भैया की रक्षा के लिए बांध दे इसको, भैया क्या राखी का प्यार निभाना नहीं आया मुझको॥ आ जाओ भैया आँखों का पानी सूख गया गले लगाओ मुझको, माँ […]

इस कदर तनहाई का हुआ है आलम। आईने में खुद को देखूँ तो कोई और नजर आता है। भूले-भटके कोई आए भी खुशी का पल। देख भी न पाऊँ और झट से गुजर जाता है। बड़ा अजीब हाल देखा है रिश्तों के दरम्यां। दिल में रहने बाला ही क्यों दिल […]

हे प्रेम प्रतीता पुण्य पुनीता,हे जननी सुखधाम.. मात-पिता के श्रीचरणों में,मेरा पुण्य प्रणाम। हे पुण्य सकारे गुरुवर प्यारे,तुम ही ज्योतिर्पुंज, प्रभु परमेश्वर हे जगदीश्वर,जीवन सत्य निकुंज। हे पुण्य मही हे अम्बर प्यारे,दिन दिनकर दिनमान, हे रजनीश्वर हे रत्नाकर,तरुवर परम सुजान। सकल चराचर मित्र सखा अरि,प्यारा प्रिय परिवार, नमन आपको करूँ […]

आज सुबह से ही घर खीर-पूरी की खुशबू से महक रहा था,सामने फुटपाथ पर एक औरत दो बच्चों के साथ सिमटी हुई बैठी थी। लगता था कुछ दिनों से भूखी हो,रसोईघर में जाकर एक प्लेट भर खाना लाकर महिला को देता हूँ,पत्नी पीछे से कहती है-अभी भोग नहीं लगा है। […]

मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो… परेशान-सा हो गया हूँ तुम सबकी बातें सुन-सुनकर, अब मुझे खुद में हँस के,खुद में ही रो लेने दो… नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे, मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो। नफरत-सी हो गई है मुझे अब इस दुनिया से… […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।