दोस्ती एक खूबसूरत रिश्ता है दिल का, दिल के सबसे नजदीक होते हैं सच्चे  मित्र। हां,कभी-कबार मनमुटाव, भी होता रहता है उनके बीच। मगर सच्ची दोस्ती परवाह नहीं करती ऐसे छोटे-मोटे झगड़ों की। अरे मेरे यारों…, मोल जानो एक-दूसरे का, एक-दूसरे की भावनाओं का… कदर करो। एक सच्चा दोस्त […]

नित-नित मैं तेरा ध्यान करूँ, हे  माँ  तेरा गुणगान करूँ… ज्ञानप्रदायनी,वीणावादनी, माँ  तेरी  जयकार  करूँ l तेरे आंचल में जो आता, जीवन धन्य-धन्य हो जाता… ज्ञान प्रफुल्लित चहुँ दिशा में, दीपक बनकर सदा फैलाता… माँ कर दे राह मेरी आलोकित, नमन  मैं  बारम्बार  करूँ… ज्ञानप्रदायनि वीणावादनी, माँ तेरी जयकार करूँ….ll […]

देश की  मेरे  सुबह  अनोखी  कितनी  प्यारी शाम है। हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम है ll यहाँ हिमालय गंगा-यमुना, मुम्बई है चौपाटी है… कण-कण में फैली हरियाली, चन्दन जैसी माटी है। साँझ सुहानी  निशा  सलोनी  भोर  बड़ी अभिराम है। हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम […]

सफलता के हज़ार साथी होते हैं,किन्तु असफलता एकान्त में विलाप करती है। यूँ तो सफलता या असफलता का कोई निश्चित गणितीय सूत्र नहीं होता,किन्तु जब पता चले कि,आपकी असफलता कहीं-न-कहीं पूर्व नियोजित है,तो वह स्थिति निश्चित रूप से चिंताजनक है। देश की सबसे बड़ी मानी जाने वाली आईएएस की परीक्षा […]

  कुछ के लिए ऐशो आराम है जिंदगी, कुछ के लिए बेनाम, बेकार है जिंदगी। देखा जाए तो एक समय ही है जिंदगी, कहीं ठहरी हुई तो कहीं चाल है जिंदगी। कभी धूप तो,कभी छाँव है जिंदगी, कभी सच तो कभी ख्वाब है जिंदगी। कहीं जानी हुई-सी,तो कहीं अनजान है […]

सुनो गुलाब, और सारी फुलवारी से पूछ के बताओ… तुम तो अधपीली दूब को सिहुलकर,हरे रोपे गए थे न | तो तुम लाल कैसे हुए….! तुम बकलोल हो-असहिष्णु हो ? तुम्हें पता नहीं, ‘हरा रंग किनका` है ? इधर, बद्तमीज गेंदा भी ‘पीला’ हो गया पवित्र पीला…! क्यों भला ? […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।