कब से ढूँढ रही मैं, बीते वक्त के,उस कल को छोड़ आई थी,मैं जहाँ पर बचपन के उस पल कोl दिनों-दिन मैं बढ़ती जाती, उम्र की सीढ़ी चढ़ती जाती छूटता जाता बचपन पीछे मैं बचपन-बचपन पुकार रही, पर पास कभी न,वो मेरे आती दूर खड़ी-खड़ी बस मुस्कातीl अपने नन्हें हाथों […]

    राही तू चलते चल, टेढ़ी-मेढ़ी  हो डगर रुकना नहीं तू मगर, मंजिल पाना हो अगर। अपना रास्ता खुद चुनना होगा, एक लक्ष्य बनाकर चलना होगा चुनौती को स्वीकार करना होगा, कसौटी पर खरा उतरना होगा अपनी समझदारी दिखानी होगी, मंजिल को आसान बनाना होगा। भूल-भुलैया-सी इन राहों में […]

हर दिन नारी की इज्जत से ‘खेला’ जाता है, कभी शब्दों से तो,कभी हाथों से नारी को ‘मैला’ किया जाता है। अपमान के घूँट को पीना नारी का ‘फर्ज’ माना जाता है, मान तो पुरूषों के हिस्से में आता है.. नारी को तो आज भी एक ‘कर्ज’ माना जाता है। […]

ठूँठ बसंत हुआ। पुण्य अनन्त हुआ। कथ्य यहाँ का। शिल्प वहां का। दर्शन ठूँसा, कहाँ कहाँ का। दो-कौड़ी की कविता लिखकर तुक्कड़ पंत हुआ। साठ-गाँठ तिकड़म से यारी खुद को कहता है अवतारी लूट, सती की लज्जा चुरकट यूँ जय वन्त हुआ। इधर-उधर का लूटा-पाटा इसको छाँटा उसको काटा। दान […]

उच्च पद पर बैठकर ये काम तो मत कीजिए, सर वतन के नाम ये इल्जाम तो मत कीजिए। जी रहे हैं साथ सदियों से अमन से चैन से, देश की अवाम को बदनाम तो मत कीजिए। डर रहे हैं वो बसा है चोर जिनके दिल जिगर, खा रहे हैं भय […]

सज-धज के तुम चली सजनियां, किसके होश उड़ाने को। बदली में तुम चली हिरनियां, बिजली किधर गिराने को॥ सज-धज के तुम चली…। ठुमक-ठुमक तुम चली कहाँ? पनघट पर प्यासे लोग खड़े। रुनक-झुनककर चली कहाँ? दर पर कितने लोग पड़े॥ रूप सुहाना लेकर रनियां, किसको चली रिझाने को। बदली में तुम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।