राही तू चलते चल,
टेढ़ी-मेढ़ी हो डगर
रुकना नहीं तू मगर,
मंजिल पाना हो अगर।
अपना रास्ता खुद चुनना होगा,
एक लक्ष्य बनाकर चलना होगा
चुनौती को स्वीकार करना होगा,
कसौटी पर खरा उतरना होगा
अपनी समझदारी दिखानी होगी,
मंजिल को आसान बनाना होगा।
भूल-भुलैया-सी इन राहों में
लक्ष्य से न भटक जाना तुम,
मुश्किलों से घबराकर
अपने पथ से न हट जाना तुम,
ठोकर खाओ तो भी संभलकर
हिम्मत से आगे बढ़ जाना तुम,
तिमिर छा जाए गर राहों में
आशाओं के दीप जलाना तुम।
आत्मविश्वास हमारी पूंजी है
सफलता की यही तो कुंजी है,
मुश्किलों से जो नहीं घबराता है,
मंजिल पर वही फतह पाता है ll
#पूनम झा
परिचय: पूनम झा राजस्थान के कोटा से हैं l आप ब्लॉग लिखती हैं और फेसबुक पर भी साहित्यिक समूहों में सक्रिय हैं l पुस्तकों,पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ,मुक्तक और लघुकथाएँ इत्यादि प्रकाशित होती रहती हैं l