दरख्त कभी बूढ़े नहीं होते,सदा देते छाँव हैं। ढलती शाम के सायों में देते हमें विश्राम हैं॥ इनका हाथ थाम के रखो,ये सुबह की धूप है। सिर पर सदा बने रहे इनके हाथों की दुआएं॥ नन्हें हाथों को मिलता इनसे बड़ा इनाम है। बच्चे के चेहरों की रौनक इनकी मुस्कान […]

ये प्यार किसे चाहिए?? वो भी इतना बेशुमार किसे चाहिए.. यहां तो पूरी तरह प्यार से तरबतर हैं साहब॥ इस कदर का ऐतबार किसे चाहिए?? किस लायक हैं हम ये तो वह भी जानते हैं, उनके जाने बिना किसी और की चाहतों का खुमार, किसे चाहिए?? हमारी मोहब्बत से वाकिफ […]

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अगर हम सोचें तो जीवन  में आनंद तमाम है, प्रभु प्रीति में जैसे मन बन जाए वृंदावन धाम है। झूठे जग की माया और झूठी हमारी काया, शाश्वत सत्य कि जानते हम वो भी गुलाम है। जीवन उसी का सफल है इस जग में आकर जिसके जीवन में प्रभु गुण […]

आजादी के पहले गुलामी एक मुसीबत थी,१५ अगस्त १९४७ के बाद आजादी एक समस्या बन गई,बेबसी कि आज भी हम आजाद देश के गुलाम नागरिक हैं। व्यथा सत्ता बदली है व्यवस्था नहीं, स्वाधीन देश में रोटी-कपड़ा-मकान-सुरक्षा और दवाई-पढ़ाई-कमाई पराधीन होने लगी। यह सब मोहलतें,सोहलतें और जरूरतें कब अधीन होगी। इसी […]

     ताज़गी से भरी हुई ये जिंदगी,      फ़ूल-सी महकती रहे।      खुशियों के आंगन में फिर,      परिंदों-सी चहकती रहे॥       ग़मों का साया न मंडराए,       रोशनी बन दमकती रहे।       बनकर घटा मुहब्बत की,       […]

रिश्तों के एक शहर को,बसाने की बात कर, रुठे  हुए  दिलों  को, मनाने  की  बात कर। हाथों में हाथ ले  के,बढ़ना ओ साथी मेरे, भारत की अस्मिता को,बचाने की बात कर। बढ़कर  के  जिंदगी में,जिंदादिली के साथ, आपस के बैर अब तो,भुलाने की बात कर। भारत का शौर्य सोया,रिपु वंश […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।