जिंदगीभर धन कमाते रहे तिजोरियों में सजाते रहे माता पिता को भूले रहे रिश्तेनातो से किनारे रहे ज्यों ज्यो धन बढ़ता रहा अपनत्व रिश्ता घटता रहा विकारो में ही फंसे रहे सद्कर्मो से भी दूर रहे आया समय जब जाने का हाथ उनके खाली ही रहे काश! सद्कर्म किया होता […]

शाम का समय हो चला था, आज बादल कुछ ज्यादा ही साफ दिखाई दे रहे थे, और हमेशा की तरह मैं सरहद के पास अपनी गश्त में था, अचानक मेरी नजर उस सिपाही पर पड़ी जो हमेशा बड़े ही जोश में दिखाई देता था, नया था शायद इसीलिए बड़ा ही […]

जीवन जल को मानिये,बिनु जल सब बेकार। सरिता सागर सरोवर,सब जल के भंडार।। जल नारायण जय जगदीशा। तुम ही जीवन जग के ईशा।।1 नीर वारि जल पय औ पानी। बहुत नाम पर्याय कहानी।।2 वरुण देव है जलके दाता। वेद शास्त्र में है विख्याता।।3 जल के बहुता स्रोत कहाई। सागर सरिता […]

कलम जब संस्कार उगलती दुनिया को वह राह दिखातीं परमात्म लीला का रूप यह जो अच्छा हर रोज लिखवाती बिन थके, बिन रुके चलती अच्छी अच्छी बाते लिखती सीखते हम रोज़ कलम से दूर रहते हम अभिमान भ्रम से अकिंचन बन चले सदराह भले लोग ही हो हमराह जो मान […]

घरों में रहना ही अब हो गया काम दुनिया का दस्तूर कब बदल गया हे राम आदमी तो आदमी जानवर भी भूखे सो रहे निठल्लों का पता नहीं मेहनतकश रो रहे ना एंबुलेंस की कांय – कांय ना पुलिस गाडियों की उड़े धूल बस्तियों में बरसे सुख – चैन मंदिरों […]

बचपन,जवानी और बुढ़ापा जीवन का हर रंग खरा सा बचपन मे जिसे संस्कार मिला पढ़ने का अच्छा आधार मिला जवानी उसकी पहचान बनाती ताकत भी राष्ट्र के काम आती कुसंस्कारों से वह बचा रहता सद्चरित्र उसके काम आता बुढ़ापा उसको कष्ट न देता निरोग काया स्वस्थ्य मन देता प्रभु को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।