जिंदगी केवल वही सफल है जिसमे पुरुषार्थ का फल है भाग्य नही, पुरुषार्थ बड़ा है तभी भाग्य से आगे खड़ा है पुरुषार्थ कहलाती ईश्वरीय सेवा इसी से मिलती जीवन मे मेवा इसी से सब अपने बन जाते सहज सबके प्रिय बन जाते जीवन मे भी खुशिया आती परमात्म की कृपा […]

“हम सुमन है इस जहां के आप को करते प्रणाम” बोली विकास मंच साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा दिनांक 06 जून 2021 को आयोजित बहुत ही शानदार तरीके से बोली संवर्धन आनलाईन वीडियो कवि सम्मेलन आयोजित किया गया कार्यक्रम शुभारंभ मां सरस्वती वीणावादिनी की वंदना कर पुष्प अर्पित कर किया […]

नामा न कोई यार का पैगाम भेजिए, पिछली रुतों का सानेहा फूल भेजिए। बुझते मेरे खयाल उनमें लाखों सवाल, ख्वाब मैं मेरे सवाल का जवाब भेजिए। पैगाम लाई है अब हवा जाने कहां से, पत्तों पे मौसम का अज़ाब लीख भेजिए। जा के सुनूँ आसार-ए-चमन के क्या है, गुलाब में […]

21वीं सदी मानव विकास की गगनचुंबी विकास की कहानी की सदी जिसमें चारों ओर गगनचुंबी इमारतें, बड़े-बड़े कार्यालय ,लंबी चौड़ी चमचमाती सड़कें जिन पर सरपट भागते और हवा से बात करते वाहन , रात का अंधेरा भी दिन के उजाले की तरह जगमगाता है ,कुछ समय में एक देश से […]

स्वभाव से हर व्यक्ति एक गीतकार होता है। जैसा कि कवि भर्तृहरि ने लिखा है कि “साहित्य संगीत कला विहीनः, साक्षात् पशु पुच्छ विषाण हीनः। तृणं न खादन्नपि जीवमानः, तद्भागदेयं परम पशुनाम्।।” हर मनुष्य में एक स्वाभाविक कवि बसता है, एक कलाकार रहता है, एक संगीतज्ञ तान छेड़ता है। यह […]

गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है, मनुष्य को प्यास लगती है तो वह कहीं भी मांग कर पी लेता है, लेकिन मूक पशु पक्षियों को प्यास में तड़पना पड़ता है, हालांकि जब वे प्यासे होते हैं तो घरों के सामने दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।