वो मजबूर हुआ, मजदूर बना… कंधों पर जीवन का बोझ पुस्तकों का बस्ता दूर हुआ । गुमनाम अंधेरे में, एक मुरझाया नन्हा सा फूल जिन हाथों में कॉपी- कलम होनी थी वे साफ कर रहे – ढाबे पर जूठें थाली, प्लेट, गिलास… जिसे ममता के आंचल में पलना था वो […]

कण कण में राधारमण,जमनाजल का पान। चेतन वल्लभ साधना,गाया है रसखान।। जयजय भूमी जय ब्रज मंडल। जमना पूजन नीर कमंडल।।1 चौरासी परिकम्मा करते । जीवन धन्या श्याम सुमरते।।2 पैदल चलते कर फलहारी।। बिनु पादुक से महिमा भारी।।3 सादा खाते नीचे सोते। संतो जैसा जीवन जीते।।4 पल पल बोलें राधे राधे। […]

घनघोर घटा लिपटी ज्यों जटा अवधूत शोभे, भवभूत हिमालय पांव पखारे , भावार्थ- सेवार्थ भारत मां का सपूत हिमालय रिपु से रक्षा करे महारक्षक जुग-जुग जिए अग्रदूत हिमालय महर्षि मनस्वी, यशस्वी तपस्वी अवधूतों का है अवधूत हिमालय जड़ों में जड़ी जड़ीबूटी जोड़ी-जोड़ी रिद्धि-सिद्धि,समृद्धि अकूत हिमालय दिव्य देवपगा गिरि जनक कनक […]

नज़ाकत समय की समझा करो नहीं हर एक से उलझा करो अपरिचित से न हाले दिल कहो मात्र दो बात कर चलता करो।।१ वैसे तो आवारा बनकर घूम रहे अंबर धरती उछल उछल कर झूम रहे जब मित्रों का प्यारा प्यारा साथ मिला अपनी उनकी गाथा सुनकर झूम रहे।।२ एक […]

मुसीबत का पहाड़, कितना भी बड़ा हो। पर मन का यकीन, उसे भेद देता है। मुसीबतों के पहाड़ों को, ढह देता है। और अपने कर्म पर, जो भरोसा रखता है।। सांसारिक उलझनों में, उलझा रहने वाला इंसान। यदि कर्म प्रधान है तो, हर जंग जीत जायेगा। और हर परस्थितियों से […]

ज़िंदगी के कितने बेहतरीन है रंग, दबीज़ जुनून -ए -सफर का है रंग। चढ़ रहा मुझे पे आफताब का रंग, इनायते – एजाज़ सनम का रंग। कुछ खुदी का कुछ बे-खुदी का रंग, दिल पे दर्द – ए -तन्हाई का रंग। प्यार गया तो कैसे मिलते दो रंग, रंग हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।