लड़के भी घर छोड़ जातें हैं।। कहतें हैं उनके बिना आगे वंस की पहचान नहीं होती, साहब, लड़के की जिंदगी भी इतनी आसान नहीं होती।। छोटी सी उम्र में सीखना पड़ता है उन्हें सब कुछ, रो नहीं सकते कभी वो खुलकर, ख्वाहिश भी दबानी पड़ती है, सारी जिम्मेदारी होती है […]

मौसम ने ली अब अंगड़ाई है प्रकृति बसन्ती रंग मे नहाईं है वृक्षों के पत्ते भी झड़ने लगे है नये नये पत्ते अब आने लगे है खेत सरसों के फूलो से नहाये है आम के बोर नई उम्मीद सजाए है परमात्म कृपा पर टिका किसान धूप और वर्षा का मिलता […]

नमन करते है उन शहीदों को, जिन्होंने अपनी जान थी गवाई | ब्रिटिश हकूमत में जिन्होंने, फांसी की सजा थी पाई || सच्चे सपूत थे भारत के वे , अपना सुख दुःख भूल गए | भारत की आजादी के लिए , फांसी के तख्ते पर झूल गए || नाम था […]

इस रंग बदलती दुनियाँ में, क्या तेरा क्या मेरा है। जो आज किसी का है वो, कल तेरा या मेरा है। दौलत शौहरत साथ ना जाए, ना जाए तन बेचारा है। पाप पुण्य की गठरी में बस, पुण्यों का ही सहारा है। अपने भी फिर साथ ना जाएँ, साथ ना […]

कण-कण जोड़ के यह देह बनी तिनका तिनका जोड़ के यह आशियाना कुछ पल, महीना, बरस साथ रहे फिर आई विदाई की बेला जिसका ना कोई आदि, ना कोई अंत । वह छोटी छोटी सी बातें वह खेलना, वह लड़ना मेरा एक खिलौना चला गया अपनी योग्यता को निखारने छोड़ […]

सबके खून का रंग एक है फिर क्यो पक्षपात करे मानव मानव मे भेद न हो ऐसा कुछ इंतजाम करे जात पूछना जरूरी नही धर्म जानना जरूरी नही इंसान में बस इंसानियत हो क्षेत्र जानना भी जरूरी नही है सब परमात्मा की संतान इस सत्य को जानना जरूरी है जो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।