अब रूह इस बदबूदार जिस्म का कपड़ा उतारकर फेंक देना चाहती है, रूह ढूँढ रही है, ऐसा कपड़ा.. जिसके आगोश में, शीतलता का अहसास हो, कोई पराया न हो हर किसी की उसको जरूरत हो.. और हर किसी को उसकी जरूरत होl रूह ढूँढने चली एक नए जिस्म का कपड़ा….l […]
बचपन के सब खेल-खिलौने, गुड्डे-गुड़िया,और कुछ सपने। बहना-संग वो हँसी-ठिठोली, कभी झगड़ा,और कभी हमजोली। चिड़िया-सा,दिन-रात चहकना, तितली बन,फिर-फिर उड़ जाना। याद आए वो प्यारी बहनाll जी चाहे,लौटूँ उस पल में, गुड़िया जब आई थी घर में। बोला था उसने जब `भैया`, नाचा था मैं, `ता-ता-थैया`। यादों के सपनीले पलों में, […]