शहर में पांच दिन से चला आ रहा समारोह आज दो हत्याओं,सौ से ज्यादा घायल और पीएसी की ३५ बटालियन की उपस्थिति में शांतिपूर्वक समाप्त हो गया। अभी-अभी जारी स्वच्छ भारत सूची के तहत मेरे शहर को कोई स्थान नहीं मिला। रेडियो,टी.वी. और अन्य चैनलों ने मेरे शहर का उल्लेख नहीं किया। वह किस नम्बर पर आया है..। गन्दगी तो इतनी है,नम्बर तो आना नहीं था,लेकिन कम-से-कम यह तो बता दिया जाता कि,हम सर्वश्रेष्ठ सौ गंदगीपूर्ण शहरों की सूची में आते हैं या नहीं,या फिर 100 सर्वश्रेष्ठ साफ-सुथरे शहरों की श्रेणी में भी आते हैं कि नहीं..। बड़े ही बेदर्द हैं चैनल वाले,हमारा जिक्र किसी ने नहीं किया।
यह हमारे लिए गर्व की बात है कि,एक बोतल ने हमारे शहर को पांच दिन तक सुर्खियों में बनाए रखा। अरे,हम गंदे ही सही,तो क्या हमारा वजूद नहीं है। हम गंदे हैं तो क्या हम दारु नहीं पी सकते। हम दारु पिएं,या ना पिएं लेकिन हमारा सर्वश्रेष्ठ सौ में तो नाम होना चाहिए। इस बात का गम था कि हमारा नाम न तो गंदे लोगों में आया,और न ही साफ-सुथरे लोगों में। बची बीच की स्थिति,तो वह बहुत भयानक होती है।
ये पांच दिन का समारोह एक बोतल के उपलक्ष्य में मनाया गया था। चौपाल पर कोई पियक्कड़ आधी बोतल पीकर छोड़ गया। बाद में उसके दो दावेदार पैदा हो गए। वे अपनी दावेदारी निभाते-निभाते कुछ दूर चले गए। इतने में बोतल खाली हो गई। बोतल की दारु कहां गई,कैसे गई,विवाद का विषय बना फिर समारोह का। हमारे यहां दंगे को समारोह कहा जाता है। दंगा तो वे लोग करते हैं,जहां आए-दिन दंगे होते हैं। बोतल पर चूहे के दांतों के निशान पाए गए। अब समस्या पैदा हो गई कि,कल तक जो चूहे बिहार में दारु पी रहे थे,वे हमारे यहां भी पीने आ गए। हमारे यहां तो दारुबंदी नहीं,लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि कोई भी पीने के लिए यहां चला आए। खैर पीना बुरा नहीं है,आप आकर हमसे कहो,हम बड़े हैं, इंतजाम करेंगे,लेकिन ये क्या चौराहे पर बोतल आधी खाली पड़ी हैl आप आए,चुपचाप पी और खिसक लिए..। आपके पीने से एतराज नहीं है,लेकिन पीने के तरीके पर एतराज अवश्य है। हो सकता है,हमारे यहां के चूहे पी गए हों,बिहार के चूहे का नाम यूं ही बदनाम किया जा रहा हो।
खैर,किसने पी,लेकिन समारोह में एक महिला की जान चली गई थी,उस महिला की लाश चौराहे पर पड़ी है। समारोह समाप्त हो चुका था। पुलिस आ चुकी थी। दोनों तरफ के लोग समारोह की उपलब्धियों को समेटते हुए घर की ओर ले जा रहे थे। कुछ के हाथों में अभी भी समारोह का लाल रंग नजर आ रहा था। खैर पुलिस के आने के बाद केवल उखड़े हुए तम्बू नजर आते हैं,वैसे ही उस महिला की लाश चौराहे पर नजर आ रही थी। दोनों तरफ के शांति दल समारोह की सफलता पर अपने-अपने बयान देने के लिए इकटठे हो गए। उनका एक मत से मानना था,समारोह सकुशल निपट गया है,लेकिन अब इस महिला की लाश के परिजनों को कितना मुआवजा दिया जाए।
मुआवजे की बात आते ही दोनों पक्ष फिर से समारोह की मुद्रा में आ गए,लेकिन पुलिस की उपस्थिति ने उन्हें शांत कर दिया। महिला का धर्म क्या है,मजहब कौन-सा है,पंथ कौन-सा है,मत डालकर आई है,किस पार्टी को मत डाला है,किसके समर्थन में यह मारी गई है..,सब बातों पर विचार होने लगा।
समारोह में दोनों पक्षों ने सदभाव दिखाते हुए कहा-अगर यह महिला मुस्लिम है,हिन्दू है,ईसाई है,सिख है…,खैर ये दीगर बात है कि,यह महिला एससी-एसटी की भी हो सकती है। मुआवजा उसकी जात के अनुसार तय किया जाएगा।
लाश शवगृह में रख दी गई। जब लाश का धर्म मालूम हो जाएगा,उसके बाद मुआवजा तय किया जाएगा। बाद में उसके धर्म के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। बोतल की दारु किसने पी,इस पर एक जांच समिति का गठन किया जा चुका है। (लेख का उद्देश्य शराब को प्रोत्साहित करना नहीं हैl )
#सुनील जैन राही
परिचय : सुनील जैन `राही` का जन्म स्थान पाढ़म (जिला-मैनपुरी,फिरोजाबाद ) हैl आप हिन्दी,मराठी,गुजराती (कार्यसाधक ज्ञान) भाषा जानते हैंl आपने बी.कामॅ. की शिक्षा मध्यप्रदेश के खरगोन से तथा एम.ए.(हिन्दी)मुंबई विश्वविद्यालय) से करने के साथ ही बीटीसी भी किया हैl पालम गांव(नई दिल्ली) निवासी श्री जैन के प्रकाशन देखें तो,व्यंग्य संग्रह-झम्मन सरकार,व्यंग्य चालीसा सहित सम्पादन भी आपके नाम हैl कुछ रचनाएं अभी प्रकाशन में हैं तो कई दैनिक समाचार पत्रों में आपकी लेखनी का प्रकाशन होने के साथ ही आकाशवाणी(मुंबई-दिल्ली)से कविताओं का सीधा और दूरदर्शन से भी कविताओं का प्रसारण हुआ हैl आपने बाबा साहेब आंबेडकर के मराठी भाषणों का हिन्दी अनुवाद भी किया हैl मराठी के दो धारावाहिकों सहित 12 आलेखों का अनुवाद भी कर चुके हैंl रेडियो सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 45 से अधिक पुस्तकों की समीक्षाएं प्रसारित-प्रकाशित हो चुकी हैं। आप मुंबई विश्वद्यालय में नामी रचनाओं पर पर्चा पठन भी कर चुके हैंl कई अखबार में नियमित व्यंग्य लेखन जारी हैl