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मैं भूल जाती हूँ अक्सर औकात अपनी.. और भूल जाती हूँ कि गुज़रते वक़्त के साथ बड़े हो गए हो तुम,और तुमसे भी बड़े हो गए हैं ख़्वाब तुम्हारे..जिन्हें कभी मैंने ही तुम्हारी आंखों में सजाया था….। आज तुम्हारे और तुम्हारे ख्वाबों के बीच मैं एक उपेक्षित-सी वस्तु हूँ…, जिसके […]

इक मुहब्बत भरी डगर रखिए, दिल का आबाद नगर रखिए l  कट नहीं सकता है सफ़र तन्हा, जीस्त का कोई हमसफ़र रखिए l  क्यूं इनायत है बस परायों पर, मेरी जानिब भी तो नज़र रखिए l  जानिए क्या अगल-बगल हो रहा, ऐसे मत खुद  को बेख़बर रखिए l  डर के […]

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मैं तिरंगे के लिए जान भी दे जाऊंगा, मेरे इस ध्वज को चंहुओर मैं फहराऊंगा l  आंच आने नहीं दूंगा मैं सरज़मीं को कभी, मैं हर-एक सोए हुए शख़्स को जगाऊंगा ll    मेरा ईमान मेरी जान ये तिरंगा है, मेरी धड़कन की भी पहचान ये तिरंगा है l  जीत […]

संघर्ष करता,जूझता परिवार मार्कण्डेय गोत्रीय। जीवन को गति प्रदान करने के लिए मास्टरी कर सुकून महसूस कर रहा था। परिवार में ख़ुशी की लहर दौड़ गई थी,क्योंकि चन्द्रशेखर जी के यहाँ दमयंती ने जन्म लिया था। संघर्षरत परिवार दमयंती के आने से प्रसन्न हो गया। कन्या जल्द ही बड़ी होती […]

मेरे अहसास वो खूबसूरत से सपने, सब कुछ संग अपने बटोर ले गए…l  हर आहट मुझे तेरी ही लगती थी, अब इस चहल-पहल को भी सूना कर गए…l  हम इंसान थे हरे-भरे चलते-फिरते पेड़ से, तुम हमें पतझड़ का कोई पेड़ कर गए…l  हँसते थे बहुत ही मुस्कराते थे हर […]

अगर मैं पेड़ बन जाता तो, कितना अच्छा होता। खड़ा-खड़ा लहराता, और सबको हवा देता। मेरे फूल महकते, स्वादिष्ट फल तुम खाते। मैं लोगों को छाया देता, राहगीर राहत पाते। मेरे कारण बारिश होती, फसलें खेतों में लहराती। मैं तुमको जीवन देता हूं, और तुम मुझे ही काट डालते॥   […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।