मातृ दिवस पर विशेष रचना मां बच्चे की पहली शिक्षक है,जो सबको पढ़ाती है। उसकी अपनी वर्णमाला है,जो सबको सिखाती है।। मां खुद गीले मे सोकर,तुम्हे सूखे मे हमेशा सुलाती है। मां खुद न खाकर,तुम्हे पहले ही भोजन कराती है।। मां ही तुम्हे लोरी सुनाकर,थपकी देकर भी सुलाती है। जब […]

“माता दिवस पर मेरी रचना सभी पुत्रो की ओर से अपनी अपनी माताओं के चरणों में समर्पित है” एक अक्षर का शब्द है माँ, जिसमें समाया सारा जहाँ। जन्मदायनी बनके सबको, अस्तित्व में लाती वो। तभी तो वो माँ कहलाती, और वंश को आगे बढ़ाती। तभी वह अपने राजधर्म को, […]

-संदीप सृजन जितना भुलाना चाहें भुलाया न जायेगा दिल से किसी की याद का साया न जायेगा इस संजीदा अशआर को कहने वाले डॉ दरवेश भारती जी 3 मई 2021 को दुनिया को अलविदा कह गये। लेकिन जो काम हिंदी, उर्दू साहित्य के लिए वे कर गये है वह आने […]

चाहे धरती हो या आकाश बिन माँ के ये भी रहे उदास । बच्चों की हों पूरी हर आस रब से करें यही माँ अरदास ॥ रखती न कभी माँ अवकाश खुशियों के लिए रखें उपवास । माँ का आंचल न जाने क्यों है खुदा भी करता है तलाश ॥ […]

सांस चले तो जीवन मिलता बिन सांस का मतलब मौत बिना सुकर्म के जीवन बेकार व्यर्थ बोल से भला है मौन जिल्लत से तो मौत भली इज्जत है जीवन का मौल अपना वही जो सन्मार्ग बताए वर्ना दुनिया में अपना कौन दुःख में जो साथ निभाये वही अपना मत पूछो […]

पांच प्रार्थनाओं में से प्रत्येक पर एक संक्षिप्त नज़र इस बिंदु को चित्रित करेगा। दिन की पहली प्रार्थना सूर्योदय से पहले दो इकाइयों से युक्त होती है। अल्लाह की याद के साथ दिन की शुरुआत करना और उस दिन के लिए बुराई से अपनी सुरक्षा की मांग करना और उसकी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।