सोचता हूँ अक्सर मैं यही कि, तुम्हारा मिलना इत्तफ़ाक़ था या फिर कोई हसीं ख़्वाब… जो एक पल के लिए क़रीब आई और फिर उम्र भर के लिए तुम चली भी गई,प्यार की उमंग दिल के कोने में जगाकर। अब पूछता रहता हूँ मैं ख़ुद से, कि अगर तुम्हें चले […]
निर्मलकुमार पाटोदी….. वैश्विक नगरी को हिन्दी अखरी….आज के बिजनेस स्टैंडर्ड में विश्लेषणात्मक रिपोर्ट पढ़कर विचार आया कि,हिन्दी-कन्नड़ को लेकर जो दु:खद भाषाई विवाद उभरा है,उसका नेतृत्व करने वालों की भाषाई समझ भटकी हुई थी। पूरी रिपोर्ट का विश्लेषण भी ठीक दिशा में नहीं है। रिपोर्ट के साथ चित्र में जो साइन बोर्ड […]