सोचता हूँ अक्सर मैं यही कि, तुम्हारा मिलना इत्तफ़ाक़ था या फिर कोई हसीं ख़्वाब… जो एक पल के लिए क़रीब आई और फिर उम्र भर के लिए तुम चली भी गई,प्यार की उमंग दिल के कोने में जगाकर। अब पूछता रहता हूँ मैं ख़ुद से, कि अगर तुम्हें चले […]

जीवन के क्षण,कभी हर्षित कभी बोझिल, कभी तेज उजाला, कभी तारों की झिलमिल। कभी खुशियों का खजाना, कभी ग़म में गाफिल, कभी हर ओर सन्नाटा, कभी शोरगुल शामिल। कभी अभाव,तंगहाली, कभी हासिल ही हासिल, कभी हर ओर अपने, कभी लगते सभी कातिल। कभी शाम-ए-तन्हाई, कभी शाम-ए- महफिल, कभी हर दिल […]

सुनो ! ये गीत तुम्हारे लिए है मेरे मन के हर भाव में, मैं तुम्हें हूँ पाती। दीपशिखा की भाँति॥ और जलती हूँ, जैसे प्रेम जोत की बाती॥ सुनो !! पाया है तुम्हें मन के हर अंधेरे कोने में, कहीं चुपके-चुपके घुटते रोने में, पीड़ा बन जाते हो कभी मन […]

अब आँख बन्द करके,गद्दारों को हमने ही मारा है। हर एक युद्ध में पाक ने,अपनी हारों को स्वीकारा है॥ शायद पाक फिर से,भूल गया है अपनी औकात को। यह याद दिलाने को ही,वीरों ने आंतकियों को मारा है॥ जिस आंतक के बल से,पाक ने हमें ललकारा है। उसकी औलादों को […]

निर्मलकुमार पाटोदी….. वैश्विक नगरी को हिन्दी अखरी….आज के बिजनेस स्टैंडर्ड में विश्लेषणात्मक रिपोर्ट पढ़कर विचार आया कि,हिन्दी-कन्नड़ को लेकर जो दु:खद भाषाई विवाद उभरा है,उसका नेतृत्व करने वालों की भाषाई समझ भटकी हुई थी। पूरी रिपोर्ट का विश्लेषण भी ठीक दिशा में नहीं है। रिपोर्ट के साथ चित्र में जो साइन बोर्ड […]

कल रात तुम्हारा चन्दा आया था मेरे पास॥ कहता था, नहीं गुजारा बड़े-बड़े शहरों में अब, जितना चढ़ता ऊपर मैं उतना छोटा होता नभ। देखी नहीं चांदनी ने हरी-भरी कहीं घास॥ गगनचुम्बी, अट्टालिका पर चढ़-चढ़कर थक जाता हूं, स्याह साँपिनि सड़कों पर चल-चलकर, थक जाता हूं। कभी नहीं भर पाता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।