झांसी गले की फांसी,दतिया गले का हार, ललितपुर न छोड़िए,जब तक मिले उधार। जब तक मिले उधार,ललितपुर कभी न छोड़े, चाहे कितने कष्ट मिले,लगते रहे तुमको कोड़े। कह रस्तोगी कविराय,सुनो भई ललितपुर वासी, ललितपुर न छोड़ना, बनेगा एक दिन ये झांसी।। आर के रस्तोगी गुरुग्राम Post Views: 405