कह लो पीर मेरे मनमीत। सुन  सहती  सब हृदय की भीत॥ यह  अभिलाषा  है  जीवन   की, रहे अटूट आजीवन  प्रीत॥ अम्बर से आग बरसती   है, उबल रहा है मन  मानव  का। नेह   प्रेम   का  घट  छलका  दो, कर  दो  शीतल  जीवन  सबका॥ करबद्ध    यही   […]

भगवान से भी बढ़कर एक चीज देखता हूँ, उठकर सुबह को माँ की तस्वीर देखता हूँ। होता है दर्द मुझको लगता हूँ मैं छिपाने, आँखों में मगर माँ की मैं नीर देखता हूँ। कुछ ऐसे भी जिनसे दूर साया माँ का, ऐसे अभागों की तकदीर देखता हूँ। जो कमी मुझे […]

इस  जमाने  की  हकीकत  आशनाई  देख  ली । कर  मुहब्बत  कर वफा   करके भलाई देख ली।। दर्द   देकर   ज़िन्दगी   को   बद्गुमानी   में   रहे। ज़िन्दगी   मैंने   तुम्हारी    बेवफाई    देख   ली।। गलतियाँ कर नासमझ बन और खुद नाराज तुम। घाव […]

अब बदल भी लोगे निगाहें कोई हैरत नहीं। प्यार की लाज क्या रखें जिन्हें गैरत नहीं।   कुछ रिश्ते संभालकर रखें वक्त बेवक्त को। काम अपने ही आते हैं कोई दौलत नहीं।   प्यास चीखती रही एक बूँद न मिली। अब सागर भी लाओगे तो जरूरत नहीं। लड़ता था आम […]

अमित अमीत अधूत आज क्यों, मनमानी पर उतराए हैं ? समीकरण क्यों बदल रहे हैं, समदर्शी क्यों घबराए हैं ? अब कैसी है यह दुरभिसंधि, दुरुत्साहन यह कैसा है ? दुराग्रही के आगे नत क्यों, सुसंचालन यह कैसा है ? सैनिक हैं वसुधा के लथपथ, आहत माँ संत्रस्त हुई है। […]

  कोई  हलचल  न   ही   रवानी   है। कैसी  ‘ठहरी-सी’ जिंदगानी है।।   तू जो कह दे  तो  बात  हो कोई। वर्ना    हर    बात ही   बे’मानी  है।।   क्यूँ  बहारों    की  आरजू   में   ही। बेवफा  ये     फ़ना  जवानी    है।।   पेड़-पौधे    ज़मीं  नदी   जैसी। प्यार   ही  इक  अमर  निशानी  है।।   […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।