पर्यावरण बनता जैसे पौधे से, घर संसार बनता वैसे बेटी से। बेटी बचाओ का प्रयास जैसे हो रहा , वैसे ही पर्यावरण को बचाने का प्रयास मानव कर रहा । न काटो पौधे धरती सूख जायेगी , न मारो बेटी को ममता रूठ जायेगी। तबाही दोनों से होगी ये समझ […]

बचपन में सुना था कि नेकी का फल मिलता है,पर आज एक संस्था में मुझे जब उस नेकी की घटना को सुनाने पर प्रथम पुरस्कार दिया गया,तब यकीन भी हो गया। घटना उस समय की है,जब मैं अपनी बहन के साथ सफ़र कर रही थी। मेरे कम्पार्टमेंट में कुछ अध्यापिकाएं […]

समझने लगी हो बातों को, जानने लगी हो अहसासों को कर चुकी हो बचपन को पार, उम्र हो चुकी तुम्हारी सत्रह के पार। छेड़ने लगी हो अरमानों को , जानने लगी हो अहसासों को कर चुकी हो बचपन को पार, उम्र हो चुकी अब तुम्हारी सत्रह के पार। कभी बैठी-बैठी […]

कभी रह में कुछ लोग मिल जाते हैं, नाम रिश्ते का कुछ भी हो,दुनिया बदल जाते हैं। आसमां की बुलंदियों को जो छूने का रखते हौंसला, इनके प्यार और आशीर्वाद से होता उनका भला। गजब की ताकत होती है कुछ लोगों में, हर रिश्ते को पीछे छोड़ जगह बनाते दिलों […]

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नटखट चुलबुली थोड़ी थिरकती-सी रहती है, मेरे घर-आँगन में यूं फुदकती रहती है। कभी हंसकर हरकतें कर सबका मन मोहती है, कभी-कभी रोकर सताती रहती है। थोड़ी अठखेली,थोड़ी शांतिप्रिय है, प्यार बरसाकर सबको साथ लिए है। रोती तो लगता मुझे पागल कर देगी, हंसकर बहलाकर मुझे दीवाना कर देगी। हर […]

यही नाम दिया था,पर क्या मालूम था कि जो नाम उन्हें दिया बस वही नाम उनके मुख से निकलेगा। लगता है मानो कल की ही बात है। पास में ग्वालियर से एक परिवार रहने आया था। तीन बच्चों की पढ़ाई के लिए वो पति से दूर इंदौर में बच्चों के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।