कविता कवि की कल्पना, किए समाहित अर्थ। निराधार कवि-कथन का, सृजन जानिए व्यर्थ॥ शब्द अनावश्यक न हो, शब्द-शब्द में अर्थ। करे समाहित प्रौढ़ कवि, देखे हो न अनर्थ॥ रहें सदय कविजनों पर, पल-पल रमा-रमेश। सत्ता निष्ठा शारदा, प्रति हो ‘सलिल’ हमेश। अपनेपन का शत्रु है, अहं दीजिए त्याग। नष्ट करे […]

जब तक मन में चाह थी, तब तक मिली न राह। राह मिली अब तो नहीं, शेष रही है चाह॥ राम नाम की चाह कर, आप मिलेगी राह। राम नाम की राह चल, कभी न मिटती चाह॥ दुनिया कहती युक्ति कर, तभी मिलेगी राह। दिल कहता प्रभु-भक्ति कर, मिल मुक्ति […]

जाने जां तुम कमाल करती हो, बात भी बेमिसाल करती हो। जाने क्या ऐसी खता हुई हमसे, मेरा जीना बेहाल करती हो। रोज आती हो तुम ख्यालों में, नींद काहे बेकार करती हो। जबसे देखा है हमने तुमको यूँ, नजरों से क्यों सवाल करती हो। सार्थक दौर है ये कुछ […]

हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम, भारत की माटी,हिंदी से प्यार करें हम। भाषा सहोदरी होती है हर प्राणी की, अक्षर-शब्द बसी छवि शारद कल्याणी की। नाद-ताल,रस-छंद,व्याकरण शुद्ध सरलतम, जो बोलें,वह लिखें-पढ़ें विधि जगवाणी की। संस्कृत-पुत्री को अपना गलहार करें हम, हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम। भारत […]

झूठ ऐसे न बोलो,लोग सब जान लेंगे, बात दिल की जो ठहरी,निगाह पहचान लेंगे। लाख कोशिश करो तुम मुहब्बत न छुपेगी, लोग हर एक घड़ी पर तेरा इम्तिहान लेंगे। ढूंढ लेंगे जहाँ में कमी तेरी भी कोई, बाद में ये बेगाने तेरी ही जान लेंगे। हो सके तो तुम मानो […]

प्यार किया है दोनों ने,पर सरहद की मजबूरी है, दो दिलों के बीच में देखो,दो देशों की दूरी है। मिलन बड़ा मुश्किल है उनका दोनों खूब समझते हैं, तड़पते रहते रातों-दिन छुप-छुप आहें भरते हैं। बड़ा कठिन है जीवन उनका ख्वाहिश सभी अधूरी है। दो दिलों….॥ दुश्मनी है दोनों देशों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।