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जाने जां तुम कमाल करती हो,
बात भी बेमिसाल करती हो।
जाने क्या ऐसी खता हुई हमसे,
मेरा जीना बेहाल करती हो।
रोज आती हो तुम ख्यालों में,
नींद काहे बेकार करती हो।
जबसे देखा है हमने तुमको यूँ,
नजरों से क्यों सवाल करती हो।
सार्थक दौर है ये कुछ ऐसा,
बेमतलब में बवाल करती हो।
#संजीव श्रीवास्तव ‘सार्थक’
परिचय: संजीव श्रीवास्तव ‘सार्थक’ की जन्मस्थली-पुखरायां (कानपुर देहात) एवं जन्मतिथि- १३ अप्रैल १९७४ है। आपका निवास शहर-पुखरायां(राज्य उत्तरप्रदेश)है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा आपकी शिक्षा व कार्यक्षेत्र-शिक्षक(प्रावधिक शिक्षा,उत्तरप्रदेश) है। लेखन में आपकी विधा-गीत,ग़ज़ल और मुक्तक है। लेखन का उद्देश्य-साहित्य अभिरुचि और शौकियाना है।
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