साहित्य की गंगोत्री से लेकर छोटी-छोटी नहरों तक की यात्रा से आप परिचित होंगे। शुचिता और पथ पर अवरुद्ध होते हुए भी कितनी नदिया प्रसिद्धि के सागर में मिली, यह भी आप जानते हैं। वर्तमान परिदृश्य देखिए। हम क्या लिख रहे हैं और क्यों लिख रहे हैं। इतना लिखने के […]

ये जो कंगूरे चमकते शान से आज़ाद हो, नींव के हे पत्थरों तुमको नमन है देश का। भारती माँ पर यहाँ जब भी कोई खतरा हुआ, अपने तन का आखिरी तत्पर लहू कतरा हुआ। प्रार्थना हो या अजानें या कोई उपदेश हो, तुम्हारी पूजा रही कि खैरियत में देश हो। […]

शिल्प ~ [(मगण भगण सगण)+गुरु] प्रति चरण 10 वर्ण चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत। यति प्रायः 4,6 वर्ण पर। 222    211   112   2 सीता माँ  के,चरण परूँ मैं। रामा जी का, वरण करूँ मैं।। ध्याऊँ  गाऊँ, कर कर पूजा। ऐसा   नाहीं, प्रभुवर दूजा।।           #नीतेन्द्र सिंह […]

रात-दिन के मेल से तिथियाँ बदल गई, हम खड़े ही रह गए वीथियाँ बदल गई। कागजों में लिख रहे देश इक नया यहां, संविधान चुप रहा,नीतियाँ बदल गई। कैसे जान पाता हाल उनका मैं कहो भला, डाकिया वही रहा,चिठ्ठियाँ बदल गई। ज़िन्दगी में मौसमों ने ली हैं ऐसी करवटें, डालियाँ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।