खुशियों का भला कहाँ कोई ठिकाना होता है, बस गम है जिनका आना और जाना होता है। रहना तो होगा इक पल के लिए खुद से दूर, अपनों के बीच रहकर भी दूर जमाना होता है। जब तक है ख्वाब,नींद नहीं रहती आँखों में, हकीकत में मानो तो यह एक […]

खून-पसीने से जिंदगी होती रही दरबदर, कौन जाने कि कैसा होता है उनका घर।। गरीबी जहाँ मजबूरी बन जाए जीवन में, तो कहाँ जाए सुख चैन उनका बेअसर। तिनके-तिनके से झोपड़ी बनाते हैं वो, जहाँ खाली रह जाता है उनका सफर। कमाने वाला एक और खाने वाले चार, असमंजस में […]

जिंदगी तू मेरी गजल और मैं तेरा गीत बन जाऊँ, भा जाए जो तुझे, प्यासे मन का मीत बन जाऊँ। आती रहे सदाएं, यूँ ही बार-बार नजारे बनकर, नज्मों की कुछ किताब में बहार-ए- जीत बन जाऊँ। रहा जाए तुझमें,हर पल बजते हुए किसी साज में, सदाबहार गीतों की कसम, […]

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जिंदगी है ये तो टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर गुजरेगी, सुख और दुख क्या,यह तो सबमें होकर गुजरेगी। चलना भी आखिर कहाँ तक लिखा इस सफर में, जहाँ रुके कदम,वहीं नए रास्तों से होकर गुजरेगी। निराशा में ही आशा की लौ जलती है महसूस करो, है कुछ अगर उम्मीद,तो पर्वतों से […]

दूर-दूर तक जिंदगी के आखरी नजारे देख रहा हूँ, बीमारी की हालत में जाते हुए लम्हें देख रहा हूँ। हर शख्स चेहरे की किताब नहीं,जिसे तुम पढ़ लो, अपने दर्द की नजाकत में मौत के जर्रे देख रहा हूँ। वो एक फरिश्ता आएगा आसमां से,ले जाने मुझे, उसी के आने […]

अपनी भी ख्वाबों की एक हसीन दुनिया होगी, सफर में मिले हमसफर वो रंगीन दुनिया होगी। जलाए बैठा हूँ आशा के दीप,सूने इस आंगन में, रोशन हो जाए ये घर ऐसी संगीन दुनिया होगी। तन्हा है जिंदगी,न साथी और न कोई दिलदार, निभा दे जो साथ तन्हाई में, नवीन दुनिया […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।