आरक्षण के दोहे

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ashok mahishware
आरक्षण के नाम से, देश हो गया तंग |
रोटी अपनी सेंकते, सत्ता बनी मतंग ||१||
जाति नाम रक्षण करें, नहीं गरीबी ध्यान |
 कितने ही खंजर भरे,सत्ता एकहि म्यान ||२||
आरक्षण को मेट दो, मिले ज्ञान को मान |
आगे तब ही देश बढ़े,बढ़े वतन जग शान ||३||
सत्ता के तुम लालची ,दूर नजर से देख |
कल तेरी करणी लगे ,केवल कालिख लेख ||४||
#अशोक महिश्वरे
गुलवा बालाघाट म प्र
 #परिचय
नाम -अशोक कुमार महिश्वरे
पिता स्वर्गीय श्री रामा जी महिश्वरे
माता  स्वर्गीय शकुंतला देवी महिश्वरे
जन्म स्थान -ग्राम गुलवा पोस्ट बोरगांव, तहसील किरनापुर जिला बालाघाट मध्य प्रदेश
शिक्षा स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य एवं अंग्रेजी साहित्य ,बीटीआई व्यवसाय :मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर वर्तमान में शासकीय प्राथमिक शाला टेमनी तहसील लांजी जिला बालाघाट मध्य प्रदेश में पदस्थ हूँ
लेखन विधा गद्य एवं पद्य
प्रकाशित पुस्तकें: प्रकाश काधीन १/साझा काव्य संग्रह २/नारी काव्यसंग्रह
प्रकाशक साहित्य प्रकाशन झुंझुनू राजस्थान

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