भावनाओं का निर्मल सलिल हृदय से गुज़रते ही दर्द की आग में उबल पड़ता है और निष्क्रिय मस्तिष्क फिर वापस पीछे धकेलते हुए शरीर निष्प्राण सम कर देता है हर डगर यूँ तो कठिन है पर जब हालात साथ छोड़ते हैं तब ये और भी दूभर हो जाती है फिर […]
abhivrut
लोगों का क्या है समझते कम हैं बिना जरुरत समझाते ज्यादा हैं समय पर काम आने से कतराते हैं सलाह मुफ़्त है बिन मांगे दे जाते हैं सुनते रहो ऊल जलूल तो ठीक कुछ कहो तो बुरा मान जाते हैं दूसरे के कष्ट में आता है मजा भला चाहने का ढोंग कर जाते हैं कोशिश करता हैं कोई सुलझाने की बेवजह आकर चीजें उलझाते हैं लोगों का क्या है….. #डॉ रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 542