हाय! जल गई अग्नि-ज्वाल में, पद्मिनी संग सहस्त्रों रानियाँ। छू नहीं पाया बदन खिलजी, रही केवल राख निशानियाँ॥ लाज देह देश धरती की, कुर्बानी देकर बचा लिया। छल से पकड़ कैद कर राणा, को खिलजी ने दगा दिया॥ गोरा बादल वीर बांकुरे, शान थे राजपूताना के। गढ़ चितौड़ के नर […]

लोगों के दिल छोटे और घर बड़े हो गए, बड़ा कमाल हुआ इस सदी में विजय, कपड़े छोटे और सपने बड़े हो गए। कमाई थी खुशियां जिनके लिए हमने, सियासी जंग में वो सामने खड़े हो गए। कमाए थे अपनों की खातिर जो सिक्के, कागज के वो टुकड़े रिश्तों से […]

मेरी आँखों में बसे हो, क्या कोई स्वप्न हो? कौन हो तुम ? मेरी श्वांसों में बसे हो, क्या कोई तपन हो ? कौन हो तुम ? मुझमें समाए हो, क्या कोई अगन हो ? कौन हो तुम ? मेरी ही छवि में छाए हो, क्या कोई गगन हो ? […]

हो स्वामी सखा  समर्थ  प्रभु फिर भी  लगी नाव किनारे नहीं..? भँवर से  निकालो मेरी नौका तुझे छोड़ और है सहारे नहीं है..। तुम तो करुणाकर  हो प्रभुवर शरणागत जन के तारक  हो। सृष्टि  के सर्वस्व हो तुम सृजक पालक संहारक  हो॥ तुम ब्रह्मा बन करते रचना तुम ही विष्णु  […]

मधुबन जीवन,एक महकता, तपती धरा तब नीर बरसता। राही तू क्यों, छांव तलाशे? आलौकित कर जीवन पथ को, जो मिल जाए,तू अपना रे राह पर अपनी बढ़ता जा रे। सुख की रातें गन्ध मारती, दुःख ही है सुखों का सारथी। जलकर बाती उजियारे पाती, मिले न इच्छित तो जश्न मना। […]

॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥ मेरी सहज अभिव्यक्ति को माँ तुमने आधार दिया, कल्पनाओ को भी सुंदर तुमने एक संसार दिया। अपनी गोदी में पाला मुझको, चिंतन का संस्कार किया॥ चुका सकती हूं क्या ऋण अब जीवन तुममे बहता है, तुम में ही मां हिंदी मेरी, अब मन रमता रहता है। जब भी रोईं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।