80 के दशक में जब गांधी फिल्म रिलीज हुई थी तब तक देश में बॉयोपिक फिल्मों का दौर शुरू नहीं हुआ था। तत्कालीन युवा पीढ़ी के लिए फिल्में देखना भी इतना सहज  नहीं था। चोरी – छिपे फिल्में देखने वाले युवकों की पता चल जाने पर घर में मार – […]

सदा सनातन से ही सांस्कृतिक तारतम्यता और विविधता के कारण भारत की संस्कृति की पहचान वैश्विक पटल पर स्थापित है, इसी तारतम्यता में कथा, कहानी, कविता, लोकोक्ति, गान, भजन, या अन्य साधनों द्वारा सांस्कृतिक तत्वों और परम्परा का संचार किया जाता रहा है। इन्हीं परम्पराओं में भारत की वाचिक परंपरा […]

दो दिनों के अंतराल पर एक बंद और एक चक्का जाम आंदोलन। मेरे गृह प्रदेश पश्चिम बंगाल में हाल में यह हुआ। चक्का जाम आंदोलन पहले हुआ और बंद एक दिन बाद। बंद तो वैसे ही हुआ जैसा अमूमन राजनैतिक बंद हुआ करते हैं। प्रदर्शनकारियों का बंद सफल होने का […]

राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना किसी व्यक्ति के जीवन का सर्वाधिक आनन्ददायी और अविस्मरणीय क्षण होता है, जिसे यह पुरस्कार मिलता है उससे भी ज्यादा उसके अपनों के लिए । कोई बड़ा सम्मान-पुरस्कार माता-पिता और गुरुजनों की उपलब्धि तो होता ही है लेकिन अर्धांगिनी को तो लगता है यह पुरस्कार उसे ही […]

और कितने सर्वे करेंगे! हमारी हर बात में ऐसे ही खामियाँ निकालते रहते हैं।हमारी व्यक्तिगत बातों में यदि इसी तरह से दखलंदाजी देते रहे तो फिर तो हो गया काम!इस तरह से हम आगे बढ़ ही नहीं पायेंगे और पिछड़े के पिछड़े ही रहेंगे। एक तरह से यह हमारी निजता […]

शरद जोशी ने कोई पैतीस साल पहले हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे व्यंग्य निबंध रचा था। तब यह व्यंग्य था, लोगों को गुदगुदाने वाला। भ्रष्टाचारियों के सीने में नश्तर की तरह चुभने वाला। अब यह व्यंग्य, व्यंग्य नहीं रहा। भ्रष्टाचार की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही व्यंग्य की मौत हो गई। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।