चलो कुछ पहल करते हैं हसीन कुछ पल करते हैं साथ तुम्हारा हमारा रहे मुश्किलें बड़ी,हल करते हैं हाथ एकदूजे का बटाकर खड़ा कोई महल करते हैं जिंदगी में कुछ उबासी सी है चलो कुछ बदल करते हैं यू गुमसुम होना ठीक नहीं मन अपना जरा चंचल करते हैं लबों […]

भा गया मुझको वो लुभाना तेरा दूर जाना कभी पास आना तेरा गजब की वो सारी मस्ती तेरी नजरें मिलाना और चुराना तेरा पागल ही किया तेरे अंदाज ने तेरी अदा और मुस्कुराना तेरा बिखरी सी लटें माथे की बिंदिया होश मेरे उड़ाए सीने से लगाना तेरा शोखी वो शरारत […]

सूख गई धरती आसमां उदास है प्यासे  हुए  मानव  लगी  प्यास है क्यों ये अब सारे जंगल कट गए है सुकून भी नहीं गर्मी का अहसास है नम हो गई है आँखे मनुहर दृश्य नहीं आलम ये देख लो खो गया मधुमास है बूंद बूंद पानी को तरस रहा ये […]

छोड़ो भी सियासत की बातें करते   रहो चाहत  की  बातें साथी सभी को अपना बना लो करो भी जरा इबादत की बातें गद्दार मुल्क को खोखला कर रहे करो तुम जरा हिफाजत की बातें हिंदु, मुसलमान हैं आखिर  इंसान करना नहीं कभी अदावत की बातें बुजुर्गों से भला  कैसी  नाराजगी […]

जमीन और  आसमान  जिंदा रखो कुछ तो अपना स्वाभिमान जिंदा रखो वतन पे मर मिटे वतन से मोहब्बत वाले दिलो में  तिरंगे  का  सम्मान जिंदा रखो बेईमानो का साथ छोड़ क्यों नही देते जरा खुद का  भी ईमान  जिंदा रखो वतन पे बुरी नजर उठे बर्दास्त नहीं हमको मुल्क पर […]

हौसला इस कदर बढ़ाते हैं दोस्त मंजिल तक पहुँचाते हैं दोस्त सच्चे साथ छोड़ते नहीं रूठ जावो तो भी वो मनाते हैं मुश्किल कितनी भी आये राहें हो चलना भी वो बही तो  सिखाते हैं तपिश कितनी भी हो सूरज की छाँव हो या धूप न वो घबराते हैं थाम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।