कोई तो होगा जिसे हम अपना कहा सके / दर्द दे दिल का हाल उसे, सुना सके / और वो मेरे घावो पर हलकी सी मलम लगा सके / और दर्द दे दिल के गम को वो मिटा सके/ और वो मुझे अपना बना सके / क्या कोई ऐसा दोस्त […]

तरुण रहोगे सबके मन में तुम शाश्वत अमरत्व रूप ! धर्म ध्वजा फहरेगी यूं हीं खिल रहेगा रंग अनूप ! तुमने सबको समझाया है जीवन कैसे जीना है ! जिनवर की वाणी के रस को कैसे निश दिन पीना है ! तरुण चले तुम आज छोड़ कर बीच भंवर में […]

हम भी किससे दिल लगा कर बैठे है/ जो ज़माने से डर कर घर मैं बैठे है/ मोहब्बत की बाते दिन रात करते थे वो / जब मुलाक़ात का वक़्त आया, तो डर के बैठे है// डर-डर के मोहब्बत तो, हमने शुरु की थी/ वो ना जाने आज दिल में, […]

चेहरा भूल जाओगे तो शिकायत नहीं करेंगे/ नाम भूल जाओगे तो गिला नहीं करेंगे/ और मेरे दोस्त दोस्ती कि कसम है तुझे / जो दोस्ती भूल जाओगे तो कभी माफ़ नहीं करेंगे / ख़ुशी से दिल आबाद करना मेरे दोस्त / और गम को दिल से आज़ाद करना / हमारी […]

देखो आया राखी का त्यौहार / साथ पले और साथ बढे हैं खूब मिला बचपन में प्यार भाई-बहन का प्यार बढ़ाने आया है राखी का त्यौहार / राखी का त्योहार है, हर तरफ खुशियों की बौछार है बंंधा एक धागे में, भाई-बहन का अटूट प्यार है / देखो आया राखी […]

सारे जग में सबसे सच्चा / होता भाई बहिन का प्यार / संजय भैया का है कहना / राखी बांधो प्यारी बहना../ सावन की मस्ती ली फुहार / मधुरिम संगीत सुनती है / मेघों की ढोल ताप पर / वसुंधरा बहुत मुस्काती है…/ आया सावन का जो महीना / राखी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।