हम क्यों रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे, जिसको न मिले हो वही ढूंढे। मेरे मात पिता ही ,मेरे खुदा है / फिर क्यों मंदिर मज़ीद में ढूंढे // रात आयी है, सुबह भी होगी, आधी रात में कौन सुबह ढूंढे। जीवन में दुःख है तो सुख भी है, क्यों दुःख में […]

जब समाज में गहरी सांस्कृतिक संवेदनहीनता जड़ें जमा चुकी हो और राजनीति अपने सर्वग्रासी चरित्र में सबसे हिंसक रूप से सामने हो, तो लोक और लोकजीवन की चिंताएं बेमानी हो जाती हैं। गहरी सांस्कृतिक निरक्षरता और जड़ता से भरे-पूरे नायक, लोक पर अपनी सांस्कृतिक चिंताएं थोपते हुए दिखते हैं। सबका […]

वर्त्तमान समय की चमक दमक को देखकर अच्छे से अच्छे लोग भी इस कलयुग में बहा जाते है / जब की उन्हें सही गलत का अंदाजा भी नहीं होता की वो क्या कर रहे है, और इसके क्या परिणाम आगे समाने आने वाले है / हर मां  और बाप अपने […]

मोहब्बत ऐसी थी की, उनको बता न सके, चोट दिल पे थी, इसलिए दिखा न सके / हम चाहते तो नहीं थे, उनसे दूर होना, मगर दूरी इतनी थी, की हम मिटा न सके // ये बेवफा साँस लेने से, तेरी याद आती है, ये बेवफा साँस न लू ,तो […]

बिना हिल मिलकर रहे , कोई परिवार नहीं बनता / बिना चर्चा के कोई, कभी समाधान नहीं मिलता / जिन घरो में माता पिता, को सामान देते है  / वो घर परिवार सदा ही स्वर्ग जैसा होता है / गुरु बिन ज्ञान किस को, कभी भी मिल नहीं सकता / […]

जहाँ पर हम जाते है , वहां पर तुम नहीं आते , जहाँ पर तुम आते हो, वहां पर हम नहीं जाते / मगर फिर भी हम दोनों, परिचित से लगते है , कोई हम को बताएगा, की ये कैसा रिश्ता है // न हम तुम को जानते है, न […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।