खुद मुझे कितना रुलाकर चल दिए। आँख से आँसू बहाकर…चल दिएll क्यूँ नहीं शिकवा किया हमसे कभी। गम सभी दिल में छिपाकर चल दिएll फासले उसने रखे हमसे…सदा। और हमको ही सुनाकर…चल दिएll मान लेते गर उन्हें अपना…कभी। क्या पता पीछा छुड़ाकर चल दिएll मंजिलें मिलती रहीं आसाँ…किसे। खार में […]