खुद मुझे कितना रुलाकर चल दिए। आँख से आँसू बहाकर…चल दिएll  क्यूँ नहीं शिकवा किया हमसे कभी। गम सभी दिल में छिपाकर चल दिएll  फासले उसने रखे हमसे…सदा। और हमको ही सुनाकर…चल दिएll  मान लेते गर उन्हें अपना…कभी। क्या पता पीछा छुड़ाकर चल दिएll  मंजिलें मिलती रहीं आसाँ…किसे। खार में […]

सिर्फ बल तो मत दिखाया तुम करो। हौंसले भी आजमाया तुम…..करो॥ दर्द दुनिया में भरा है…..आजकल। प्यार सबको कुछ सिखाया तुम करो॥ लाजमी है बरगलाना…..आपको। दूर दुश्मन से भी’ जाया…..तुम करो॥ ख्बाव देखो पर खुली…..आँखें रखो। सच हों’ वो सपने सजाया तुम करो॥ बदमिजाजी में नहीं कुछ भी रखा। अब […]

तुम्हें अपना बनाना है नहीं आसाँ अगर सुन लो। तुम्हारे ही लिए अपना सभी कुछ फिर लुटा देंगे॥ कहेगा दास्ताँ अपनी धरा औ…आसमाँ सबसे। तुम्हारे नाम से हम प्यार की गंगा…बहा देंगे॥ तेरे बिन हिज्र में रातें गुजारी हैं…बड़ी मैंने। लुटाकर दिल तुझी पर वस्ल भी हमदम करा देंगे॥ बड़ी […]

प्यार का है बोलबाला हर गली में, आशिकी कब इस जमाने में छिपी है। नाचती है मौत चौराहे…नगर में, बीच हर बाजार दुर्घटना…घटी है। इश्क आशिक को लगा करता सभी कुछ, प्यार में पड़ के नजर किसकी हटी है। जब मुसीबत में समझ आए न रस्ता, मौत उसको तो लगे […]

वक्त का पहले से…मारा हूँ मैं। आसमाँ से टूटता…तारा हूँ मैं॥ घूमने की कामना…जगती रही। क्यूँ कहें सब आज आवारा हूँ मैं॥ जिसको चाहा वो नहीं मिलती मुझे। बस उसी से आज तक हारा हूँ मैं॥ क्यूँ नहीं मिलती…मंजिल मुझे। बस नदी की भटकी-सी धारा हूँ मैं॥ जिन्दगी तो खार […]

हर हकीकत रूबरू होने लगी। रंज की जब गुफ्तगू होने लगीll  खिल गया जब प्यार का इक बीज भी। नफरतें फिर चारसूं होने लगीll  अब नहीं महफूज़ है कोई यहाँ। बालिका बे-आबरू होने लगीll  पर्व कोई हम मनाएँ जब कभी। ईश की फिर तू ही तू होने लगीll  मिल गया […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।