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तुम्हें अपना बनाना है नहीं आसाँ अगर सुन लो।
तुम्हारे ही लिए अपना सभी कुछ फिर लुटा देंगे॥
कहेगा दास्ताँ अपनी धरा औ…आसमाँ सबसे।
तुम्हारे नाम से हम प्यार की गंगा…बहा देंगे॥
तेरे बिन हिज्र में रातें गुजारी हैं…बड़ी मैंने।
लुटाकर दिल तुझी पर वस्ल भी हमदम करा देंगे॥
बड़ी कमसिन ये’ यारी है ज़रा तुम ध्यान रखना ये।
चलाकर कोई भी जादू तुम्हें अपना…बता देंगे॥
मिलन होगा हसीं अपना खिलेंगी फिर… बहारें भी।
सितारों पर तेरे तो ख्वाब सारे हम…. सजा देंगे॥
#सुनीता उपाध्याय `असीम`
परिचय : सुनीता उपाध्याय का साहित्यिक उपनाम-‘असीम’ है। आपकी जन्मतिथि- ७ जुलाई १९६८ तथा जन्म स्थान-आगरा है। वर्तमान में सिकन्दरा(आगरा-उत्तर प्रदेश) में निवास है। शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत)है। लेखन में विधा-गजल, मुक्तक,कविता,दोहे है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय सुनीता उपाध्याय ‘असीम’ की उपलब्धि-हिन्दी भाषा में विशेषज्ञता है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी का प्रसार करना है।
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