शिक्षक-दिवसविशेष…………….. आलोक-स्तंभ तुम, गुरु महान, तुमको प्रणाम,कोटि प्रणाम।। प्राप्य तुम्हें,प्रभु सेअमिट वरदान, अनगढ़ माटी को गढ़ते, दे ज्ञान क्षुधातुर मेधा हो जब हकलान, कराते तुम निरंतर अमृतपान। तुमको प्रणाम, कोटि प्रणाम।। छा जाते हो बन अरूण तिग्म, तिमिरमय हमारे जीवन में. सौरभ -सा रच -बस गए हो, युग-युग से हमारे […]