शिक्षक-दिवसविशेष…………….. आलोक-स्तंभ तुम, गुरु महान, तुमको प्रणाम,कोटि प्रणाम।। प्राप्य तुम्हें,प्रभु सेअमिट वरदान, अनगढ़ माटी को गढ़ते, दे ज्ञान क्षुधातुर मेधा हो जब हकलान, कराते तुम निरंतर अमृतपान। तुमको प्रणाम, कोटि प्रणाम।। छा जाते हो बन अरूण तिग्म, तिमिरमय  हमारे  जीवन  में. सौरभ -सा  रच -बस गए हो, युग-युग से हमारे […]

अजीब औरत है पति नहीं है और मना रही है शादी की सालगिरह….। ओर नहीं तो क्या देखा नहीं बेटे की शादी में…. कैसी बन – संवरकर पार्लर से तैयार होकर आई थी मैडम। हद है यार….तीसरी ने तंज कसा । तभी पिंकी को सामने पाकर सब चुप हो गई। […]

तुम्हे तो सौपा था केवल मृदुल भाव ही पुरुषत्व के दम्भ मे जलाने क़ो नही।     तुम भूल गए मेरा सतीत्व     तुम भूल गए मेरा अस्तित्व      अब खोल ‘पौरुष’ अपनी आँखें       और देख मेरा विशाल रूप।       मैं केवल एक […]

ऊपर वाले को ढ़ूंढ़ते मंदिर-मस्जिद में, जबकि बैठा है वो अपने ही दिल में । प्रेम-भाव से ही ईश्वर का नाता है, क्यों फिर मानव आडंबर अपनाता है । भूत, भविष्य, वर्तमान का ज्ञाता है वो, इस संसार का भाग्य-विधाता है वो। प्रभु की दृष्टि में तो सब है एक […]

          व्यग्र-प्रतीक्षा चहलकदमी रही कर, आ जाये समाचार शायद इस  पल आज गमन तो  निश्चित   है, मृत्यु- पर्व तुम्हारा निश्चित है। सदैव रहे  तुम नायक दुर्धर्ष ,  मोड़ दे जो संग्राम का रुख, फिर तुमने  वही कर दिखाया.. पंद्रह अगस्त का सम्मान रखा जन-गण-मन का  मान‌‌  […]

देखो आया,  सावन  झूम  के मही स्वर्ग , खिल उठा जीवन धन्य हो गया है व्याकुल मन! बादल है यूं छाया, वन समीर भी गुनगुनाया। टिटहरी,पपीहा,चातक विह्वल, देखकर, कजरारे घन। नीरद के नयन चपल है, भूल चुका जग  सकल  है। शिखरों से झुका देखता, धरा-प्रियतमा उसकी विकल है। सुदूर क्षितिज […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।