भाव रूठे,गीत फिर कैसे सुनाऊँ, तार बिखरे वीणा के कैसे बजाऊँ। बाँध पाया कौन मन को, थाह पाया कौन मन को आह में डूबी व्यथा को, कैसे बताऊँ। भाव रुठे गीत…॥ नयन गीले प्राण रीते, विवशता में अधर सीते और कब तक हृदय को, धीरज बंधाऊँ। भाव रुठे गीत…॥ शून्यता […]

कोरे-कोरे सपने मेरे, आकर आज सजा दो तुम। लाल चुनरिया गोटे वाली, तारे असंख्य जड़ा दो तुम। दिल का कोना-कोना रीता, प्यारी ज्योत जला दो तुम। होंठ लरजते जिनसे हमदम, सरगम गीत सजा दो तुम। आँखों की कोरों का काजल, नजरें आज लगा दो तुम। भीगी-भीगी मेरी पलकें, हँसकर ख्वाब […]

आज ठण्ड बहुत ज्यादा थी,कोहरा भी छाया हुआ था। सर्द मौसम में पड़ोस की गली सूनी पड़ी थी,जहां हर समय छोटे-छोटे बच्चों का शोर बना रहता है,  पर सब आज अपने कच्चे-पक्के मकानों या कहें कि,झोपड़ियों में दुबके हुए थे।  जिनके तन पर गर्म कपड़ों की बात तो दूर,तन ढंकने […]

नव सृजन करने चली, प्रकृति की अनूठी सौगात उदर में रख नव मास तक सिंचित रक्त से सांसों को, उत्सुक नैना बेचैन धड़कन देखन स्व रचित रचना को मुख देखत पुलकित हर्षाई ममता उमड़ उमड़ कर आई नैनन नीर भरे दर्द सगले बिसराई माँ थी जिसने सुन किलकारी अबोध की […]

चले हैं तेरे शहर से ज़ख्म ले के हरे, नहीं मिलेंगे दोस्त हमसे जुदा होने के बाद। हर पतझड़ के बाद बहारें आती ही हैं, नहीं आएगी रिफ़ाक़तें शब-सवेरे  के बाद। मैं खामोश हूं एक अरसे से इस कशमकश में, कि आँखों में उनकी भी इल्तजा झलके शिद्दत के बाद। […]

  कहीं सुख है कहीं दुःख है, इसी का नाम दुनिया है। नहीं कुछ भी बिना, कठिनाइयों के जो मिले जग में। किसी भी और जाओ, आएंगें दुःख कष्ट तो मग में। कभी आशा चमकती है, निराशा का कभी तम है। वहीं नर वीर हैं जो दशाओं, में सदा सम […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।