रमा कई दिनों से अपने पति(सुरेश) को बेचैन देख रही थी। दिन तो कामकाज में कट जाता,पर रात को उसे करवटें बदलते रहने का कारण समझ नहीं आ रहा था। वह हर सम्भव अपने पति को खुश रखने का प्रयास करती,पर नतीजा शून्य ही रहता। कई बार उसने पति से […]

(बाल दिवस विशेष)  भारत में हम प्रत्येक वर्ष १४ नवम्बर को पं.जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं,लेकिन आज भी देश के करोड़ों बच्चे दो जून की रोटी को मोहताज है। जिस उम्र में इन बच्चों के हाथों में स्कूल जाने के लिए किताबों से […]

(बाल दिवस विशेष)  याद आते हैं,दिन पुराने, बचपन के वो खेल-तमाशे थे कितने वे पल सुहाने। लुका-छिपी खेलते-खेलते, खो-खो में खो जानाl गिल्ली हो या गेंद लपकने जी भर दौड़ लगाना। लँगड़ी,पिट्ठू या कबड्डी, रोज ही मन ललचाते थेl इतने पर भी लगे अधूरा,तो दंड-बैठक खूब लगाते थे। जाने कितनी […]

खाए-पिए लोगों को सूझती है धींगामस्ती,सैर-सपाटा, नाच-गाना,हंसना-खिलखिलाना और अपनी मस्ती में मस्त हो जाना। दिहाड़ी मजदूरी कर पेट पालने वाला शख्स, थक-हारकर जब शाम को घर लौटता है तो ६×८ की सीलनभरी जर्जर झोपड़ी में, लिपटी फटेहाल जिन्दगी ही किसी स्वर्ग से कम नजर नहीं आती है। नसीब सबका अपना-अपना […]

आते हैं जब इस दुनिया में हम, कितने सहज,सौम्य और निश्छल होते हैं। धीरे-धीरे होते हैं प्रभावित और अपनाने लगते हैं, उस वातावरण को,जो कराता है हमसे मनमानी, बनाता है क्रमशः हमको मगरूर। सिखाने लगता है दुनियादारी और, बोने लगता है मन में हमारे बीज मगरूरता के, करते रहने को […]

कल दिवाली, आज सुहाग पड़वा कल भाईदूज, जिन्दगी रिश्तों की पहेली, बूझ सके तो बूझ। कहीं पकवानों की मिठास, कहीं मेलजोल का मधुमास। कहीं अहम की दीवारें समृद्धि का सन्नाटा, अकूत सम्पदा में घाटे का गीला आटा। कहीं फाका-मस्ती की रौनक, मुफलिसी की मौज अभावों में भी जारी भावों का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।