घिरकर आयेगी जब याद मेरी बादलो की तरह तुम भी हरकत करने लगोगी पागलों की तरह।। तुम्हें भी भिगो देगा एहसासों का ये सावन जब तमन्नाएं उग आयेगी जेंहन मे फ़सलों की तरह।। मेरी तरह तुमको भी इश्क चैन से जीने ना देगा‌ तन्हा-तन्हा रहोगी तुम खुद मे महलों की […]

लब पे मुस्कान आंखो मे नमी बहुत है तेरी कमी के अलावा भी कमी बहुत है। तुम्हे मुबारक हो आसमां की बुलंदियां मेरे जीने के लिये तो ये जमीं बहुत है। .. .. .. .  है पता कि उसके वजह से बरबाद मेरा जीवन है फिर भी उसे एक बार […]

राष्ट्र का हित ही छोड दिया सरकार वालों ने, जबसे जमीर बेच दिया है अख़बार वालों ने। बिकने लगे 500-हजार मे जबसे अधिकारी, हर चीज मे मिलावट कर दी बाजार वालों ने। लैला मजनू,हीर रांझे के किस्से नही मिलेंगे, आशिकी को बदनाम कर दिया प्यार वालों ने। अब तलक मेरी […]

इतनी मस्जिदें इतने भगवान क्यूं हैं जीवन से लोग इतने परेशान क्यूं हैं। सभी कहते है प्रेम से बडके कुछ नही तो फिर बाईबल,गीता,कुरान क्यूं हैं। …. ईमान का चल रहा व्यापार यहां पर बिके हुये है हरेक अखबार यहां पर। जो बातें करते है सच और उसुलों की उनके […]

अपने मतलब की है,सबके हित की सरकार नही मुर्दो मे गिने जावोगे अगर भरी तुमने हुंकार नही। हालात को देख समझ के दुनियादारी सीख लो मांगने से भीख ही मिलती है,हक अधिकार नही। अपनी लडाई खुद लडनी है इतना तुम जान लो मदद को तुम्हारे आयेगा अब कोई अवतार नही। […]

दिल में होना चाहिए राष्ट्र का हित, न की जातियों में ब्राम्हण-दलित।। माथे पे लिखा नहीं धर्म किसी का, ईश्वर-अल्ला पर विवाद नहीं उचित।। राजनिति को घर से बाहर ही रहने दो, रहे प्रेम आपस में सुन लो मेरे मीत।। मिलकर करें काम हम सब ऐसा की, बढ़ते चले आगे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।