हिंदी लेख माला के अंतर्गत डॉ. वेदप्रताप वैदिक डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत में शिक्षा की कितनी दुर्दशा है, इसका पता यूनेस्को की एक ताज़ा रपट से चल रहा है। 75 साल की आज़ादी के बावजूद एशिया के छोटे-मोटे देशों के मुकाबले भारत क्यों पिछड़ा हुआ है? इसका मूल कारण यह […]

पुस्तकों की असल पहुँच पाठक हैं, और यदि आपके भीतर भी पाठक है और आप पुस्तकें पढ़ते हैं तो लिखिए किसी भी एक हिन्दी पुस्तक की समीक्षा। आप यदि समीक्षा लिखते हैं तो मातृभाषा डॉट कॉम विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर लाया है आपके लिए पुस्तक समीक्षा लेखन प्रतियोगिता। […]

हिंदी लेख माला के अंतर्गत डॉ. वेदप्रताप वैदिक डॉ. वेदप्रताप वैदिक हर 14 सितंबर को भारत सरकार हिंदी दिवस मनाती है। नेता लोग हिंदी को लेकर अच्छे-ख़ासे भाषण भी झाड़ देते हैं। लेकिन हिंदी का ढर्रा जहाँ था, वहीं आकर टिक जाता है। भारत की अदालतों, संसद और विधानसभाओं, सरकारी […]

स्वनाम धन्य है अमृतसर नानक की धरा, अमृत है भरा इक ऊंकार हर ज़ुबान पर रहे सेवा का व्रत सबने है लिया हिंदूस्तान की आज़ादी थी धर्म खेत -खलिहान, गली-मोहल्ला युवा–सा जोश, उम्र का नाम होश 1919 की बैसाखी ने रचा इतिहास पंज दरिया की‌ धरा ख़ून से नहाई जलियांवाला […]

मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ। शहीदों के लहू से सींचा गया हूँ, निर्दोषों के चित्कार से गुंजित हुआ हूँ, मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ। कई माँ, बहन और पत्नी से अपमानित हूँ, जनरल डायर की गोलियों से छलनी हूँ, मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ। चहुँ ओर से जलकर धुआँ हुआ […]

कला जो कानून हो गया। मानवता का ख़ून हो गया। वहशी खेल दरिंदों का वो। सपना चकनाचूर हो गया। बिछड़ गए अपनों से अपने। धूल हुए आँखें के सपने। फिर भी अड़े रहे परवाने। आग भरी राखों के तप ने। मिट्टी का रंग लाल मिलेगा। गोरों का जंजाल मिलेगा। जीवन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।