
मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ।
शहीदों के लहू से सींचा गया हूँ,
निर्दोषों के चित्कार से गुंजित हुआ हूँ,
मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ।
कई माँ, बहन और पत्नी से अपमानित हूँ,
जनरल डायर की गोलियों से छलनी हूँ,
मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ।
चहुँ ओर से जलकर धुआँ हुआ हूँ,
शर्म से बेजार हुआ जाता हूँ,
मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ।
दीवारों पर अब भी निशां लिए खड़ा हूँ,
रक्तरंजित माटी का जीवंत उदाहरण हूँ,
मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ।
आज़ादी के शंखनाद का मैं पहला स्वर हूँ,
भारत के इतिहास का अविस्मरणीय अध्याय हूँ,
मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ।
हज़ारों लाशों को उठाए मैं खड़ा अभागा हूँ,
हर पन्ने पर जहाँ नाम मेरा लिखा वह काला दाग़ हूँ,
मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ।
अंग्रेज़ों की यातना से आकुल मैं हिन्दुस्तान पर दाग़ हूँ,
वीरों की बलिदान से झुका मैं जलियांवाला बाग हूँ,
मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ।
#श्रीमती रश्मिता शर्मा,
इन्दौर, मध्यप्रदेश