नही समझा में दुनियां के, लोगो के किरदारों को। बस में जैसा हूँ वैसा ही, समझा दुनियां वालो को। मुझे क्या पता था कि, इस मायाचारी दुनियां में। तरह तरह के लोग रहते है इस में।। जिनका पूरा जीवन सिर्फ, लोगो को छलने में निकला। छल कपट ही इनके जीवन […]

फूलों की कहानी कलियों ने लिखी। आसमान की कहानी सितारों ने लिखी। नदियों की कहानी उसके जल ने लिखी। इन्सान की कहानी खुद इंसान ने लिखी। इसलिए वो बना बटी सी लगती है।। फूल खिलकर भी उदास है। समुद्र को आज भी पानी की प्यास है। हम क्यो औरो की […]

गये थे आज मंडी में लेने को कुछ फूल। वहां जाकर देखा तो एक दम दंग रह गए। की जो फूल लेने को हम वहां गए है। वो सारे फूल पहले से पैरों में पड़े हुए है। अब में कैसे उन्हें लू और प्रभु के चरणों मे कैसे चढ़ाऊँ।। सही […]

मन आज बहुत उदास है दिल मे आज भी प्यास है। कैसे कहे हम उनको की हमे तुम से प्यार है। मिलते 2 वर्षो बीत गए पर बात दिल की कह न सके।। उम्र के इस पड़ाव पर भी वो हमें याद है। कहा है और कैसे होंगे, कुछ भी […]

चलते चलते मुझे श्रीराम मिल गए । चलते चलते मुझे श्रीकृष्ण मिल गए । बातो ही बातो में वो पूछने लगे। क्या करते हो तुम? मैने कहाँ की में एक कवि हूँ जी। सुनकर दोनों जन जोर से हंस पड़े। मैने पूछा उनसे क्या हो गया जी। कहने वो लगे […]

नही होती सुंदरता किसी के भी शरीर में। ये बस भ्रम है अपने अपने मन का। यदि होता शरीर सुंदर तो कृष्ण तो सवाले थे। पर फिर भी वो सभी की आंखों के तारे थे।। क्योंकि सुंदर होते है उसके कर्म और विचार में। तभी तो लोग उसके प्रति आकर्षित […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।