बात हैं सन् सोलह सौ सत्तावन की , मुगल सेनापति रामसिंह ने हमला बोला था असम पर लेकर अनगिनत सेनानी साथ । नहीं पीछे थे लाचित बरफुकन जो थे वीर ,देशप्रेमी आहोम के सेनापति । कम सेनानी लेकर कैसे रोक सकेंगे शत्रु को , रण कौशल जानते थे वो रातों […]

      “लेखनी क्यों कठघरे में ” इस बात को ऐसे ही स्पष्ट नहीं किया सकता है । इसके कई ऋणात्मक और धनात्मक कारण हैं।     रचनाकार हमेशा अपनी नजर में जैसा दिखता है अथवा उसके हृदय से जो निकलता है वही कलम के द्वारा कागज पर उतारता […]

       भारतवर्ष एक बहुभाषा-भाषी , जाति-जनजाति तथा अनेक धर्मों का देश है, जहाँ छोटे-छोटे क्षेत्रों में अलग अलग बोली ,  जाति- धर्म ,कला-संस्कृति के लोग निवास करते हैं । फिर भी भारत में अनेकता में एकता है ।सभी एक-दूसरे को सहायता करते हैं । एक-दूसरे को समझते हैं […]

काव्य-संग्रह – “खोजना होगा अमृत कलश “ कवि – राजकुमार जैन राजन प्रकाशन – अयन प्रकाशन , 1/20 , महरौली , नई दिल्ली – 110030 मूल्य : 240 रुपये संस्करण : प्रथम 2018 पृष्ठ – 120 पुस्तक प्राप्ति हेतु सम्पर्क नम्बर  09828219919         जाने-माने बाल साहित्यकार श्री […]

मन वन महकाता जब डाली पर डोलूँ, सूरज की आभा ने हरे घूंघट उठाए, खिला-खिला चेहरा जग देख हर्षाया। अली कली-कली पर, उड़-उड़ गुंजराए। रंग-बिरंगे तन मेरे, कहीं गुलाबी कहीं लाल नीले-पीले से रंगाया। कभी छोटे कभी बड़े, वृक्ष तरु तृण लता पर खिलकर मुस्कुराया। मेरी खुशबू जब बिखरी, मेरा […]

     ‘माँ,इतना कुछ क्यों दे रही हो! कहीं जाते वक्त इतना कुछ खाकर जाना संभव नहीं है।’ माँ कुछ बोले,उससे पहले ही पिताजी जवाब दे देते हैं,-‘यात्रा में निकलने से पूर्व कुछ खाकर निकलना चाहिए। इतनी दूर जाना है,क्या पता रास्ते में गाड़ी रुकेगी या नहीं,इसलिए कुछ खा लो। […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।