सच तो ये है मेरी हर शाम उदास होती है, अकेले में भी तुम्हारी यादें पास  होती हैl एकांत की बात तो चलो दूसरी है साथी, भीड़ में तन्हाई  मेरे आस-पास होती हैl मुद्दतों से फिर रहा हूँ उस मंजिल की चाह में, मगर वो मंजिल दूर होकर भी […]

सुनो प्रिये! मैंने अपने पूरे होश में तुम्हारे नाम वसीयत में लिख दिया, सम्पूर्ण प्रेम.. सोचता हूँ तुम्हारा संवेदनशून्य मलिन-भावनाविहीन ह्रदय नहीं महसूस पाएगा उस वसीयत की अहमियत और तुम्हारे जीवन की उलझी शाम में खुरदरे हुए हाथों के स्पर्श से मेरी देह नहीं ले पाएगी सुख स्पंदन का ही, […]

माँ वसुंधरा तो पिता अंबर-सा साया। माँ शीतल आंचल तो  पिता कड़कती धूप में  छाया॥ माँ है पवित्र गंगा जल,तो पिता है पर्वत विंध्याचल। माँ है खुशियों का आँगन, वहीं पिता है रहा आवरण॥ माता-पिता है इंसान के रूप में ईश्वर। इनसे सदा सजा रहे हमारा घर-मंदिर॥ माता-पिता है जीवन […]

आलीशान इमारत की बुनियाद, और तारीख लिखता मेरे देश में.. अपने लहू से हर ईंट को सींचता, हर एक निरीह मजदूर मेरे देश में। तन पर जिनके एक भी कपड़ा नहीं, पेट पर बंधे हैं पत्थर भारी-भरकम.. जाने किन हालातो में है जीता-मरता, भूख से लड़ता मजदूर मेरे देश में। […]

ऐ किसान पुत्र आजा, चल सेना में भर्ती हो.. तेरी रोटी की समस्या चुटकी में होगी हल.. और सुन आदिवासी तू बहुत भूख-भूख चिल्लाता है, बहुत विनोबा भावे बनता है.. जंगल-जंगल करता है, विकास के पथ पर तू बहुत अवरोध खड़े करता है.. सुन,तू अपने दम पर बंदूक उठा चल […]

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चलते हैं जो रास्ते वो सफ़र, जो साथ चले वो होता हमसफ़र। हर इंसा तय करता अपना सफ़र, कभी किसी शाम तो कभी शहर। रास्ते बदले,लोग बदले,बदले हमसफ़र, दिया न साथ,सब धोखेबाज़ निकले। बिन रुके पाया अपना मुकाम, लाख कोशिश की न हुआ नाकाम। कठिन श्रम से दौड़ाई सफलता की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।