किसी ने स्याह चश्मी से निहारा है। यही तो बस मुहब्बत का इशारा है। *************************** जबीं आया नज़र जो काकुलें बिखरीं। मेरे महबूब का प्यारा ……नज़ारा है। **************************** लटें खुलती लगे के छा रहे बादल। दिखे मुस्कान तो लगता बहारा है। *************************** तुझे उपमा भला क्या दूँ बता मुझको। कि […]

या तो बिगाड दे या तो संवार दे ये जिस्म मे जो जान दी है लग रही बडी महेंगी है मेरे बस के बाहर है ऐ मौला,,, जरा तु इसका हिसाब दे गुनाह जो करवाये तुने ही चल जरा इनको बख्श तु दे इतना कठीन समय दिया है इससे मिली […]

है नहीं तब सजा जिन्दगी। जब हुई आशना जिन्दगी। सब खुशी मिल गई तब उसे। हो गई जब फिदा जिन्दगी। रुठकर यूँ चले हो ….कहाँ। अब नहीं है अना जिन्दगी। भूल से पाप जो हो.. गया। फिर हुई है खता जिन्दगी। पालकर झूठ को क्या मिले। सच का’ ही दे […]

मैं ‘पुष्प’ जन-जनकेमनमें,सौन्दर्यभराकरताहूँ, मैं ‘ हरघरकाउपवनअपने, सौरभसेमहकाताहूँ। मेरा ‘वैभव’ मेरे..कंटक,मेरीशाखसेलिपटेरहते, मुझतकआतेहस्तकापहले ,येप्रक्षालनकरते। मेरेमृदुलकीरखवाली, येहीकंटकहीतोकरते मेरासौरभसबकोमिले, ऐसाजतनयेकरते कोमलमेरीदेखपंखुड़ी ,कुछलोभीललचाते, मधुकेभूखेमुझकोअपनी,नजरोंसेमैलाकरते । हूँमैं ‘पुष्प’जीवनकोत्याग,देवोंकोसमर्पितहोता, मैं ‘पुष्प’ डालीकोछोड़ ,प्यारकासाखीबनता। मैंहीहूँवो ‘फूल’ चरणोंकीधूल,बनताहूँहँसते-हँसते, माँकोसमर्पितप्राणोंकोवीर,करनेजातेजिसरस्ते। महकमेरीमुस्कानबने,मैंदिलसेदुआयेकरता, नालोभमुझे ‘जीवन’ का,मैंदूजेकेहितहूँजीता।            #सुनीता बिश्नोलिया परिचय : सुनीता पति राजेंद्र प्रसाद बिश्नोलिया का स्थाई निवास […]

(महिला सशक्तिकरण की भावना पर) उस तृण की ताकत सिद्ध तो कर, उठ…उठ! सीता अब युद्ध तो कर। तब गिद्ध ने रक्षण की सोची, अब गिद्ध ने देह तेरी नोची। हिम्मत न अपनी हार के चल, उस पापी का प्रतिकार तो करl हे सीता अब लाचार न बन, अपने शत्रु […]

प्यार से उसको बुलाना चाहता हूँ। फिर गले उसको लगाना चाहता हूँll  प्रेम से मेरे रही अनजान…है वो। बात सच दिल की बताना चाहता हूँll  वास्ता मुझसे रखे वो या नहीं फिर। बस उसे मन में बसाना…चाहता हूँll  जा रही हो छोड़कर मुझको अगर वो। रोककर उसको मनाना…चाहता हूँll  रो […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।