मेरे अंतस्थल में जो है संवेदनाओं का ताना-बाना तुम्हारा ही तो है बुना मैं तो निपट था अनजाना. मैं ठिठुरती सर्दी-सा, था बहुत सहमा-सहमा, कड़क कॉफी की महक-सी तुम ,मेरे भीतर गई समा. नाजुक उंगलियों की छुअन तेरी भर गई मुझमें चिर नरम -सिहरन कहने का अंदाज़ नया वो वो […]

हवा  भोर  की भर लो सांसों में नव-ताजगी  से तुम भर लो तन  को भी. दिन चढ़े, तीक्ष्ण -धूप सहना   पड़ जाता   है जीवन के आपाधापी में जलना   पड़ जाता   है. उमस से लथपथ  है  समय  अब तो, हो जाती बारिश कभी असमय अब तो. राह जीवन के गंदले हो […]

जगदंबे-जगजननी जगत की महारानी किये सोलहवों सिंगार भव्य रूप है तुम्हार माथे  टीका  है सजा सिंदुर से मांग है भरा गले  में  हंसुंली  सोहे झूमका मन को मोहे कर में कंगन की चमक कटि-किंकिणी की दमक बोले रुनझुन पायलियां बाजे बिछुआ पैजनियां गुड़हल-सी लाल- चूनरी सबके हृदय बस रही धर […]

अनेक राह हैं….  लंबी-लंबी सड़कें, उबड़-खाबड़ वीथिकाएं, कच्चे-पक्के  रास्ते. बर्फ वाले पहाड़, गहरी तलहटियां, चाय-बागानों की ढलान. उजड़े-बियाबान, घने-वन.   हर  जगह  है मौजूद, इस दुनिया का वजूद.   फिर भी,बन न सकी एकछोटी,कच्ची-पक्की राह  तुम्हारे और मेरे दरम्यान,, जिसपर चलकर हम आ  सके इतने करीब, कि,  ‘स्व’ समाहित हो, […]

मैं हिंदी, संस्कृत की आत्मजा हूं और भारत के अनेक क्षेत्रीय भाषाओं की बड़ी बहन हूं। विश्व में भारत वर्ष की राष्ट्र भाषा के रूप में जानी जाती हूं।देश और समाज के अनेक प्रणेता तथा साहित्यकार व कलाकार मुझे माध्यम बनाकर अक्षय कीर्ति एंव ऐश्र्वर्य के भागी बनें हैं।बच्चे इतिहास, […]

निस्तब्ध -उजाड़ दुपहरी में, उठा हो कहीं बवंडर. भाग रहीं हो आंधियां, विक्षिप्त -सी इधर- उधर. समझ जाना, कोई  कोरा आंचल फटा है किसी ने कोई दुपट्टा छीना है। बिवाइयां फटे सपनों के पांव, दागा है किसी ने सलाखों से. रिसते रुधिर नहीं हैं ये , सिसक रही है कली […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।