मैं कहीं भी रहूं दर्द रहता मुझे, रो पड़ूँगा अभी ऐसा लगता मुझे। झेलते-झेलते मिट गई जिंदगी, वह कहां तक भला याद रखता मुझे। साथ देता बहुत मेरी तकलीफ में, आज यदि प्यार से कोई सुनता मुझे। सिर्फ मतलब में आवाज देते सभी, वर्ना अपना यहां कौन कहता मुझे। शर्त […]

श्वेत वस्त्र धारिणी माँ, वीणा पाणि शारदे माँ मेरी कोठरी में भी तो, ज्ञान भर दीजिए। देती रहें आप सारे कवियों को शुभाशीष, आप निज हाथ, मम शीश धर दीजिए। हम हैं नादान किन्तु बालक तो आपके ही, दुख अवसाद पाप, मात हर लीजिए। आपकी कृपा से ही तो, काव्य […]

भाग्य विधाता सोच रहा सब। तू हस्तरेखाएँ क्यों देखे॥ नितदिन सूरज उगता रहता। तू ढलता सूरज क्यों देखे॥ देख गगन भी गरज रहा अब। तू सूखी जमीं को क्यों देखे॥ जग रौशन करना है तुम्हें। गम का अंधेरा क्यों देखे॥ अपने हुनर पे है यकीं जब। जाति-आरक्षण तू क्यों देखे॥ […]

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हमको किसी से कोई शिकायत नहीं रही, हमको अब उसकी जरूरत नहीं रही। हथियार हमारे रहे मुस्तैद हमेशा, ये और बात है कि अदावत नहीं रही। पहले की तरह लोग यहां मिलते ही नहीं, और आज यहाँ यारों तिजारत नहीं रही। हमने तो खा लिए यहां धोखे मोहब्बत में भी, […]

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कब्र से उठ के उसने पुकारा मुझे, कुछ नहीं चाहिए अब तुम्हारा मुझे। मुझको दरिया की कोई जरूरत नहीं, छोड़ दो हो सके तो किनारा मुझे। अपनी रक्षा में गर हाथ मेरा उठा, दोष मत दीजिएगा दोबारा मुझे। अन्न से भेंट दिनभर नहीं हो सकी, ऐसा बाँधे रहा भाईचारा मुझे। […]

उलझनें हैं बहुत यहाँ मगर लड़ना आना चाहिए, हौंसलों के बलबूते तुम्हें उड़ना आना चाहिए। जन्म दिया है ईश्वर ने तुम्हें मानव जाति में, कर्म का चयन स्वयं को ही करना आना चाहिए। मुक़ाम आज नहीं,तो कल अवश्य ही पाओगे तुम, राह कठिन जरुर पर निरंतर चलना आना चाहिए। दयनीय […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।