कविता रोती शब्दों से ,कवि गीत बनाता जाता है कुछ भूले बिसरे लम्हों के संगीत बनाता जाता है   पनघट पर जब घट फूटे तो ,कविता निकल के आती है कोई भँवरा मधु लूटे तो ,कविता निकल के आती है शोभा तब है नारी की ,जब लाज ही उसका गहना […]

लो बादल ने खोल दी , फिर गठरी की गीठ | कीचड़ कीचड़ हो गई , है गठरी की पीठ | 1| बिजली  देती  धमकियाँ ,  रही  हवाएं  छेड़ | बादल के आंसू गिरे , लपक रहे हैं पेड़ |2 | बादल   आये   देखने ,    पर्वत   जंगल    बाग | दादुर […]

प्यार की पावन बातों की कौन गवाही देगा आंख से बहते जज्बातों की कौन गवाही देगा तुम पर विपदा आई तो सारा जग रोने आयेगा मेरी सुलगती रातों की कौन गवाही देगा दिल के अंदर के हालातों की कौन गवाही देगा रह रह कर उठते आघातों की कौन गवाही देगा […]

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देश के मैदानी इलाकों में भले ही बरसात का मौसम आफत लेकर आता हो लेकिन ऊँचे पहाड़ों पर यही बरसात कुदरत की खूबसूरत नैमतें लेकर आती है |कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाये तो बरसात पहाड़ों को इस तरह सजाती संवारती है की सदैव पहाड़ों पर रहने वाले लोग भी […]

हाथ तिरंगा गहने वाला दीप बुझ गया जलते-जलते। वंदे मातरम् के उत्तर में कत्ल हो गया चलते-चलते। राष्ट्र चेतना की वेदी पर शीश चढ़ा एक और तरुण- दर्पण उसने दिखा दिया है राजतंत्र को हँसते-हँसते॥ राष्ट्रभक्ति की बेल छजी जब सत्ता चौबारों में। वंदेमातरम् के रखवाले कटते  क्यों बाजारों में। […]

चिंतनो में..स्वार्थ की अब..चढ़ गई हैं अर्गलाएं। और..भावों के..भवन में,वंदिता हैं मेनकाएं॥ हो गई..हमसे विसर्जित,भरत की संतृप्ता। भ्रमित कैकेयी-सी..मन की,रह गई अतृप्ता॥ क्यों न हो..जब..हर महल में,पल रही हैं मंथराएं। आैर..भावों के..भवन में,वंदिता हैं  मेनकाएं॥ भेदने आतुर हुई फिर,वर्जनाएं-वाचिका को। स्वर्ण मृग फिर छल रहा है,सीय की मरीचिका को॥ पंचवटियों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।