घर का भेदी खोल के,नंगा बैठा न्याय, गीदड़ बग्गी,भेड़िया,नोंच-नोंच अब खाय नोंच-नोंच अब खाय,लिए दानवता मन से, मन का ये उदगार,उगलते जहर वमन से देखें दृश्य ‘विराट’,काँपता है तन थर-थर, सबल बनाएं देश,टूटने दें मत यह घर॥                      #श्रीमन्नारायणाचार्य ‘विराट’ Post […]

एक पक्ष भाव से,लिखा नहीं सु ग्रंथ को, धर्म-कर्म  से अभी,रखा नया सुपंथ को। सस्य श्यामला बने,धरा प्रकीर्ति गुंज से, पाप ताप है मिटे विराट अग्निकुञ्ज से॥ देश काल मान का,समृद्ध सार अंक है, हार-जीत जो हुआ,समस्त तार अंक है। नित्य गंध व्याप्त हो,सनेह पुष्प कुंज से, शुद्धता बने रखे,विराट […]

(रस-श्रृंगार रस (वियोग श्रृंगार),वियोग श्रृंगार का पहला प्रकार-पूर्वराग,आलंबना -कृष्ण,उद्दीपन-एकांत,ऋतु,अनुभाव- निष्प्राण और संचारी भाव-जड़ता है) विरह   हृदय   पर   नयन   पसारो॥ श्यामल अंबर वृंदावन है,आओ कुंज  विहारो। कंचन तन अरु मन मधुवन है,आकर  मोहिं निहारो, सकल जगत निष्प्राण हुआ ज्यों,उर जड़ता को हारो। राधा  हूँ, पिय  अंतर्मन की, इव  दुख  बोझ उतारो। […]

जयतु भारती ज्ञान दायिनी, सृजन शक्ति दे हंस वाहिनी॥ सगुण  छंद  प्रीति  बढ़ाइए, कलम  से सुगंगा  प्रवाहिए॥ नित करूँ तुझे छंद वंदना, सुफल बाल दे शीत चंदना॥ प्रबल कामना प्राण में रही, सतत सत्य की चेतना बही॥ (4चरण,दो-दो समतुकांत )                     […]

मत्तगयंद सवैया…… पावन-सा मन में रख केशव, श्वांस समाहित भक्तिन राधा। गावत प्रीत सुनीत सुकीर्तन, गीत अलापित भक्तिन राधा। रास रसायन राग रसादृत, श्याम सुभाषित भक्तिन राधा। हार गई  मनमोहन पै सब, सो अपराजित भक्तिन राधा॥                             […]

हरिगीतिका छंद…. अवधेश  आत्म  विराज  के, मन को सदा रख धाम-सा। जड़  को  सजीव  बनाय के, चलना  सही  पथ राम-सा। उर  में  अलौकिक  भाव  हो, जिससे  बनूँ  हनुमान-सा। जग  में   निरंतर   गूँजता, प्रभु नाम ही  प्रतिमान-सा॥                         […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।