‘कुछ शैल चीरने और हैं ; कुछ अरण्य लांघने और हैं। यूँ ही तो नहीं कहलाता कोई बाजीगर; कुछ नदीश तैरने और हैं। बटोही ! तुझे आज महीधर टकराना तो है …; ‘उस मंजिल तक’ जाना तो है…॥ मैं ठोकरों के डर से, चलना छोड़ूँ  तो क्यों…? जीता ही कब […]

कब टूट जाए किसे है पता, साँसों का कोमल तार है जीवन। बहने देना पर बहकने न देना, सरिता की शीतल धार है जीवन। मधुर माया-जाल में फंसना न ‘सावन’, सुन्दरी का सोलह श्रृंगार है जीवन। ऐ मन-मयूर! मत करना गुरूर, क्षणिक बसन्त-बहार है जीवन। सप्त-सुरों के सरगम से सुसज्जित, […]

न खेती है,न बाड़ी है,न घर है। फिर भी देखो कितना महंगा वर है॥ मन में उमंग नहीं,जीने का ढंग नहीं। जीवन के सागर में एक भी तरंग नहीं॥ सभ्यता-संस्कार नहीं,सोच में निखार नहीं। आपस में प्यार नहीं,शिक्षित परिवार नहीं॥ काला अक्षर भैंस बराबर है। फिर भी देखो कितना महंगा […]

‘गुनाह करके,बेगुनाह बनता है। जीने वाला भी,हद करता है …॥ यूँ न खामोश,समझ लीजिए उसे; जुबाँ अपनी जो,खामोश रखता है …॥ ज़िन्दगी जीना तो,है उसका काम; पल-पल यहाँ,जो मरता है…॥ उबलते दृगों में,नाम पढ़ अपना…; मुझे तो धुँधला-सा,ये दिखता है…॥ गाहे-बगाहे,बरस लीजिए ‘सावन’। तपस का कहर,बेज़ार करता है…॥  #टी.सी.’सावन’ परिचय […]

ईंटों,पत्थरों से, बनाना चाहा था, घर; तोड़कर, विश्वास स्नेह, और हृदय अपनों का। स्वयं बनाईं दीवारें मगर, गला घोंटने लगीं; जब निगाहें उनके साथ को, तरसने लगींl आज मालूम हुआ, कि घर, बेजान ईंटों से नहीं; प्यार व अपनेपन से बनता है।                  […]

छोड़ो चूल्हा-चौकी रोटी। आओ,पढ़ाई कर लो बेटी॥ घर का बाद में करना काम। जग में रोशन कर लो नाम॥ विदूषी बन महको ज्यों फूल। लो बस्ता,जाओ स्कूल॥ पढ़ो-लिखो,छू लो नभ-चोटी। छोड़ो चूल्हा-चौकी रोटी, आओ,पढ़ाई कर लो बेटी॥ नहीं हो तुम बेटों से कम। शक्ति-स्नेह का हो संगम॥ दम दिखा दो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।