थक चुकी हूँ मैं दर्द सहते सहते थोड़ा चैन और सुकून चाहिए न ये दर्द पीछा छोड़ते हैं न तुम्हारा प्यार मुझे जाने देता है थक गया है मन अपने आपको समझाते समझाते यही जीवन है यहाँ दुःख भी हैं सुख भी दुखों के साथ जीना सीख लो तुम्हारा प्यार […]

स्त्री लुटती रही नुचती रही चीख़ती रही चिल्लाती रही पर कोई न था सुनने वाला असहाय खड़ी नीढाल पड़ी रास्ते पर साथ थी उसके तो बस अविरल प्रवाहित होती उसकी अश्रु धारा कितना ज़ालिम है देखो ये ज़माना जिस माँ से जन्म लिया वो भी एक स्त्री है जिसने कलाई […]

स्त्री अपने सारे दायित्व जनम से लेकर मरने तक निभाती है बिना कुछ कहे सब कुछ सहती है हर पीड़ा हर दर्द वो सह जाती है फिर भी हमेशा दोषी स्त्री ही ठहराई जाती है क्यों?? इस क्यों ? का कोई जवाब नहीं ख़ुद भूखी रहती है बच्चों को पालती […]

बहुत दिनों के बाद रिया भारत आई थी ।रिया ने भारत आते ही सबसे पहले रागिनी को फ़ोन लगाया और कहा ……… जय श्री कृष्णा रागिनी कैसी हो ? मैं भारत आ गई हूँ ,तुम सभी से मिलना चाहती हूँ । बताओ कब फ़ुर्सत में हो तुम सब किसी रेस्टोरेंट […]

*भ्रमर* की तरह ज़िंदगी जीयो कितनी अच्छी होती है ज़िंदगी फूलों से रस लेता है भ्रमर मतलब मिठास को ग्रहण करता वो तुम भी भ्रमर की तरह बनों लोगों के अवगुण नहीं अपितु गुणों को करो ग्रहण तुम मिश्री सी वाणी बोल दिलों में राज करो अदिति रूसिया  वारासिवनी Post […]

अपनों के बीच कैसी दूरियाँ ज़िंदगी है चार दिन की आज यहाँ कल का ठिकाना नहीं दूर रहो पर प्रेम से रहो मस्त रहो रिश्तों की डोर मज़बूत कर जियो चाँद सूरज भी दूर है एक दूजे से पर एक दूजे से बैर है न भेद भाव संचालन करते है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।