छुट्टी के दिन छुट्टी जैसे नहीं होते उसी दिन कमबख्त सब काम होते छुट्टी के दिन ही मुहल्ले में आते हैं मलाई वाले, फेरीवाले, कबाड़ी वाले उनकी आवाज से ही टूटती है टूटे फूटे सामानों की भी नींद संगी साथी भी आते हैं मिलने पर होते वो भी जल्दी में […]

खतरे के निशान से ऊपर तुम आ चुकी वह नदी हो कठिन है बचना मेरा शायद बह जाऊंगा तेरे साथ उस किनारे ही मेरी जमीन थी छोटा था सपनों का घर तिनका तिनका जतन कर लिखा था लहू से उस पर सिर्फ तुम्हारा ही नाम पता था मुझे किनारा नदी […]

क्या है इतिहास इतिहास एक ताबूत है नहीं रहे जो हम उसका होते हैं जो हम वह रहता है सदा ही ‌ कभी नहीं होता इतिहास भविष्य में होना खिलता रहता हमेशा नहीं होना मुरझा जाना है अतीत में दफ़न जिसे अपने सीने में सदा कर लेता इतिहास #राम बहादुर […]

अभिनन्दन का अभिनन्दन पूरा  भारत कर  रहा वन्दन यहां  लग  रहा रंग  व चंदन तुम कर रहे  करूण  क्रन्दन कितने  तुम धोखा  कर  लो  हम पर  बुरी  नज़र कर लो चाहे ज़मीन पर आजमा लो चाहे  पानी में जोर  लगा लो हम हरदम  तुमसे बीस रहेंगे आप  यदि  सोलह भी  […]

वह स्करैप जैसा था चाहे जैसा रंग भर दो परन्तु वह तो कट्टर अनुशासन में रहा फिर सीख गया वह घृणा करना भी जब था स्वाधीन वह करता था बहुत प्रेम आके इस दुनिया में हो गया”अकेला”वह #राम बहादुर राय “अकेला” एम.ए.(हिन्दी, इतिहास ,मानवाधिकार एवं कर्तव्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार),बी .एड. […]

राजनीति अब वोटों का खेल कर दो वादे कुछ भी अनेक जो कभी न पूरे होने वाले मंहगाई की बात करने वाले जितना चाहे बांट सको बांटो चाहे खजाना खाली हो बगिया तो रो ही सकती है माली ही जब स्वार्थी हो जायेगा भ्रष्टों का क्या बिगड़ेगा जो अभी व्यवस्था […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।