(पाकिस्तानी कायरतापूर्ण हमले में शहीद जवानों पर) गर उनके जैसा जश्न मनाओ, तो फिर मुझसे कुछ बात करो। सुकूं की रोटी खाने के बित्तल, सरहद की मिट्टी से पेट भरो। साल तुम्हारा बीत गया चलो आतिशबाजी करके जाम भरो। नशे में बनकर बेशक बाजीगर, सड़कों पर अंधी मौज करो। डिस्को […]

रक्त आज भी भभक उठा, उस दिवस को याद कर जब काली थी अजब घटा, और शीतकाल का समर वज्र से थे हस्त भी,जो ढाने बाबरी चले, स्वयं बलि के दूत थे,जो लाने नरबलि चले जोश था जुनून था,शौर्य का सुरूर था, होश बेहिसाब था,सख्त-सा गुरूर था नेत्र में असत्य […]

है अविरल-सी तू कोमल बोली, गठित पाट की जैसे सुंदर डोली। सरल सौम्य की सुता वास्तविक, नित्य जीविका गद् पद्य सात्विक। है यथार्थ का विश्वास मनोरथ, कई मंतव्यों से गंतव्यों तक। जैसे गमन विहार में युक्ति सूचक, वैसे युद्ध प्रहार से मुक्ति बोधक। कष्ट निवारक दिव्य परिणामक, है विश्लेषक विभक्त […]

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हाँ साधारण-सी पानी हूं मैं, व्यर्थ पूजते हो तुम मुझको हाँ,अकारण-सी बहती हूं मैं, पवित्रधार क्यों कहते मुझको। न मैं माँ हूं…न कोई देवी, फिर भी सबके कष्टों को सहती क्यों कहते तुम माँ हो मुझको, जब मेरी पीड़ा न तुमको दिखती। गंगाजल तो हिमकल जल है, पर मेरा जल […]

राजनीत का गेट खुला है, सबको अंदर आने दो, कपट-द्वंद के वाद्ययंत्र पर सबको मंतर गाने दो। अपनी झांकी आगे रखता, हर शख्स यहां पर नेता है, भर चातुर्मास परकम्मा करता दिग्गी भी अभिनेता है। देख लचीलापन खेमों में इनकी नीदें खुलती हैं, चैन चुनावी बिन सोने की,हीरा भाव में […]

शादी के शुरुआती साल और अभी घूमने-घुमाने का दौर जारी था। वह जनवरी का सर्द महीना था, वह भी उत्तर भारत की सर्दी का मौसम। कार्यक्रम बना मुंबई घूमने का। कानपुर से मुंबई और वापसी के टिकट रेल में आरक्षित हो चुके थे। निर्धारित तारीख और समय पर हम लोग […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।