ले, टोपी, पहन, वादा कर, खींसे निपोर, गली-गली घूम, फिर से वोट मांग. दे, वोट, जरुर, पर सोच, योग्य है कौन ? बटन दबाना सोच-समझकर. खें, नैया, देश की, देशभक्त, ईमानदार, उम्मीदवार हो, ऐसे को तू ‘वोट’ दें. आ, चल, निकल, हो निर्भीक, मत-दान दे, ‌सरकार बना, लोकतंत्र को बचा. […]

टेसू-रंग गहरी है बनी, रंग-गुलाल चहुं दिशि उड़े. कोरी चूनर  रंग दूं धानी, नैनों में प्रीत के लाल-डोरे. सरसों-फूल से ले पीत- रंग, रंग दूं गोरी तेरे कपोल गोरे. इन्द्रधनुष की पिचकारी से, सप्तरंगी करूंअंग-अंग तेरे, जगजननी के आंचल को, नवजीवन के ‌अंकुरण भरें. फाग-रंग में डूबे  श्याम, राधा  का  […]

‌तब मैं प्रौढ़ शिक्षा की कक्षाएं लिया करती थी.अस्वस्थ होने की वजह से,एक महीने के लिए मैंने एक तीस-पैंतीस वर्षीया अशिक्षित-महिला,’श्यामा’ को खाना बनाने रखा था.एक शाम वह जल्दी ही खाना बनाने आ गई,पूछने पर बड़ा सकुचाते हुए उसने बताया कि,वह तीज-त्योहार, शादी-ब्याह के गीत स्वयं जोड़-जोडकर बनाती और गाती […]

सवाल बहुत है मन में जवाब कहाँ से लाऊं, नींद नहीं है आंखों में ख्वाब कहाँ से लाऊं, अशांति बहुत है जीवन में शांति कहाँ से लाऊं ? दर्द बहुत है दिल में दवा कहाँ से लाऊं, अपने कई हैं साथ में पर खास कहाँ से लाऊं, छल से भरी […]

दीये की जोत जो हो तुम सनेह का धृत  मेरा है. सुवासित हवन-धूप-सा मेरे रोम में बसे हो तुम. जीवन यह ढोल है मेरा तेरे   थापों   बिना  सूना. जो तुम्हारी धूप पड़ती है तभी  होता  मेरा  वादन. मेरी  पूजा, मेरा  अर्चन मेरा वंदन,  मेरा  गायन भजन की लय तुमसे है […]

दीये की जोत जो हो तुम सनेह का धृत  मेरा है. सुवासित हवन-धूप-सा मेरे रोम में बसे हो तुम. जीवन यह ढोल है मेरा तेरे   थापों   बिना  सूना. जो तुम्हारी धूप पड़ती है तभी  होता  मेरा  वादन. मेरी  पूजा, मेरा  अर्चन मेरा वंदन,  मेरा  गायन भजन की लय तुमसे है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।