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बचपन से काँटों में खेला, आई न कोई सुख की बेला.. कहते हो ये सहज मान लूँ, पर कैसे दिल को समझाऊँ.. कैसे गीत खुशी के गाऊँ। जी भर कर मैं रो न पाया, करवट बदली सो न पाया.. आँसू बोझ न कम कर पाए, लब पे हँसी कहाँ से […]

आँसूओं के दरिया बहाने से कुछ नहीं होगा, उठ और कर संघर्ष,रोने से कुछ नहीं होगा। ये जहां तो ऐसे ही हँसता आया है दूसरों पर, मनाकर यूँ हार-जीत खोने से कुछ नहीं होगा। दिखा दे कि हिम्मत और हौंसले अभी बुलंद हैं, गवाँकर मौका चैन से सोने से कुछ […]

देश की खतिर दिल को तोड़े, घर अपना ये खुद ही छोड़े। कितने अरमा कितने सपने, ख्वाब सजाए दिल में कितने। याद सताए जब अपनों की, लिखी है पाती फिर सपनों की। मन बंजारा इत-उत डोले, पी की याद में मन ये बोले। लिख दूँ खत मैं तुमको जाना, मुश्किल […]

खिल रहे कनक से अमलतास, मस्ती में महुआ महक उठा। अमराई में बोर महकते वन, का खग मंडल चहक उठा।। कोपल पात नवल से आए, तरु चंचल मन बहक उठा। कुसुम पलाश के खिले-खिले कानन का आंगन दहक उठा।। नव नूतन श्रृंगार किए प्रकृति, का मुख मंडल दमक उठा। बसंत […]

नई फिल्म ‘शाबाना’ की कहानी ‘बेबी’ फिल्म से जोड़ी गई है। हाल ही में प्रदर्शित हुई यह फिल्म प्रीक्वल है ‘बेबी’ की। निर्देशक शिवम भाटिया ने भाग जानी,आहिस्ता-आहिस्ता, महारथी (टीवी सीरियल) के बाद नीरज पांडे लिखित फिल्म ‘नाम शाबाना’ निर्देशित की है। फिल्म की कहानी विदेश से शुरू होती है,जहां […]

है नहीं सिर्फ नदी ब्रह्मपुत्र, यह ब्रह्म का पुत्र है है इसलिए यह एक नद्य, यह है दर्शन समन्वय का। हुआ इसके तटों पर, कई संस्कृतियों व सभ्यताओं का मिलन। आर्य-अनार्य,मंगोल-तिब्बती, बर्मी-द्रविड़,मुगल-आहोम के मिलन और टकराहट का, गवाह है यह ब्रह्मपुत्र। है इसकी कई उपनदियाँ, सुवनश्री,तिस्ता,तोर्सा लोहित,बराक,धनश्री। है महाबाहु यह […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।